टीबी, मलेरिया का पता लगाएगा आईआईटी दिल्ली का एआई सिस्टम

Mar 27, 2019, 17:17 IST

कृत्रिम बुद्धि (आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस या एआई) मानव और अन्य जन्तुओं द्वारा प्रदर्शित प्राकृतिक बुद्धि के विपरीत मशीनों द्वारा प्रदर्शित बुद्धि है.

IIT-Delhi develops AI-based system to detect malaria, other diseases
IIT-Delhi develops AI-based system to detect malaria, other diseases

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के शोधकर्ताओं ने कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) आधारित किफायती और कम ऊर्जा खपत करने वाला डिवाइस बनाया है जो मलेरिया, टीबी और सर्वाइल कैंसर का मिलीसेकेंड में पता लगा सकता है.

आईआईटी -दिल्ली के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के असिस्सटेंट प्रोफेसर डॉ. मनन सूरी और उनके शोधार्थियों की टीम ने इसे तैयार किया है.

मुख्य बिंदु:

   इस पोर्टेबल डिवाइस को जैविक नमूनों में सूक्ष्मजीवों का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है.

   ये शोध न्यूरोमॉर्फिक प्रणाली बनाने पर केंद्रित है जिसका प्रयोग सीमित संसाधनों वाले क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं देने हेतु किया जाएगा जहां मानव विशेषज्ञों की पहुंच सीमित है.

•   स्वास्थ्य सेवा एवं निदान संबंधित अनुप्रयोगों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रारूप के कई सॉफ्टवेयर मौजूद हैं.

कृत्रिम बुद्धि (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के बारे में:

कृत्रिम बुद्धि (आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस या एआई) मानव और अन्य जन्तुओं द्वारा प्रदर्शित प्राकृतिक बुद्धि के विपरीत मशीनों द्वारा प्रदर्शित बुद्धि है. कंप्यूटर विज्ञान में कृत्रिम बुद्धि के शोध को "होशियार एजेंट" का अध्ययन माना जाता है. होशियार एजेंट कोई भी ऐसा सयंत्र है जो अपने पर्यावरण को देखकर, अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश करता है.

कृत्रिम बुद्धि, कंप्यूटर विज्ञान का एक शाखा है जो मशीनों और सॉफ्टवेयर को खुफिया के साथ विकसित करता है. जॉन मकार्ति ने साल 1955 में इसको कृत्रिम बुद्धि का नाम दिया और उसके बारे में "यह विज्ञान और इंजीनियरिंग के बुद्धिमान मशीनों बनाने के" के रूप परिभाषित किया. कृत्रिम बुद्धि अनुसंधान के लक्ष्यों में तर्क, ज्ञान की योजना बना, सीखने, धारणा और वस्तुओं में हेरफेर करने की क्षमता आदि शामिल हैं.

कृत्रिम बुद्धि का वैज्ञानिकों ने साल 1956 में अध्धयन करना चालू किया. एआई अनुसंधान की पारंपरिक समस्याओं (या लक्ष्यों) में तर्क , ज्ञान प्रतिनिधित्व , योजना, सीखना, भाषा समझना, धारणा और वस्तुओं को कुशलतापूर्वक उपयोग करने की क्षमता शामिल है.

कम ऊर्जा खपत पर काम करेगा:

प्रोफेसर डॉ. मनन सूरी के अनुसार, यह कोई उत्पाद नहीं बल्कि कई बीमारियों का पता लगाने वाला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर आधारित कम उर्जा पर चलने वाला एक हार्डवेयर सिस्टम है. यह केवल एक सेंकेंड के हजारवें भाग में ही मलेरिया, टीबी, सर्विकल कैंसर जैसी बीमारियों का इंसानी कोशिकाओं के संकेत के जरिये पता लगाएगा. यह सिस्टम पहले से मौजूद माइक्रोस्कोप में  कोशिकाओं के निदान की प्रक्रिया में एक सपोर्ट सिस्टम की तरह है. यह सबसे कम समय में बीमारी का निदान करने की प्रणाली है.

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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