भारत और मालदीव ने 02 फरवरी 2020 को मालदीव में अद्दू अतोल के पांच द्वीपों पर अद्दू पर्यटन क्षेत्र स्थापित करने हेतु पांच समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए. इन समझौता ज्ञापनों का मुख्य उद्देश्य मालदीव में अद्दू अतोल के पांच द्वीपों पर अद्दू पर्यटन क्षेत्र की स्थापना करना है.
इस परियोजना की लागत चौबीस लाख नब्बे हजार डॉलर होगी. इन समझौता ज्ञापनों पर मालदीव में भारतीय उच्चायुक्त संजय सुधीर, मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद तथा अद्दू नगर परिषद के प्रतिनिधि ने हस्ताक्षर किए. इसके अलावा, होराफूशी में बोतल बंद पानी का संयंत्र स्थापित करने के एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए.
अद्दू पर्यटन क्षेत्र क्यों?
अद्दू मालदीव'26 प्रवाल अतोल के सबसे खूबसूरत स्थलों में से एक है. इसमें मालदीव के 1192 द्वीपों के दो दर्जन से अधिक द्वीप शामिल हैं. अद्दू पर्यटन के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थल है क्योंकि यह दक्षिण एशिया के सबसे दक्षिणी बिंदु का प्रतिनिधित्व करता है.
भारत अपतटीय विकास कार्यों के माध्यम से अपनी पर्यटन और बुनियादी ढांचे के विकास की सीमा का विस्तार कर रहा है. अडू पर्यटन क्षेत्र राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों और राजनयिकों को लाएगा जो भारत और मालदीव के पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देंगे.
मालदीव आने वाले लोगों में भारतीय नागरिक दुनिया भर में दूसरे स्थान पर हैं. मालदीव के पर्यटन मंत्री अली वहीद द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, साल 2019 के पहले छह महीनों में 82,140 भारतीय पर्यटक मालदीव की यात्रा पर गए थे.
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भारत-मालदीव संबंध
मालदीव द्वीप समूह भारत के दक्षिण में हिन्द महासागर में स्थित है. यह अपने खूबसूरत समुद्री तटों के लिए मशहूर है. भारत-मालदीव संबंध दक्षिण एशिया की नजर से काफी महत्वपूर्ण हैं. भारत-मालदीव के बीच द्विपक्षीय संबंधों की शुरुआत मालदीव के साल 1965 में ब्रितानी शासन से आज़ादी के साथ हुई. भारत-मालदीव ने अपनी समुद्री सीमाओं का आधिकारिक रूप से साल 1976 में फैसला कर लिया था. दोनों देशों के मध्य साल 1982 में व्यापार समझौते पर भी हस्ताक्षर हुए थे.
भारत मालदीव को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था. भारत ने साल 1972 में अपना राजनयिक मिशन मालदीव की राजधानी माले में स्थापित किया. भारत के लगभग सभी प्रधानमंत्रियों ने अपने कार्यकाल के दौरान मालदीव का दौरा किया है.
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