भारत के लड़ाकू क्षमता वाले देशी ड्रोन रुस्तम-2 ने 16 नवम्बर 2016 को अपना पहला सफल परीक्षण पूरा किया. इसका परीक्षण बेंगलुरु से करीब 250 किलोमीटर दूर चित्रदुर्ग में एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज से किया गया.
यह टेस्ट रेंज मानवरहित यानों तथा मानवविमानों के परीक्षण के लिए नवविकसित उड़ान परीक्षण स्थल है. यह मानवरहित वायुयान हैं. इससे भारत के विकास कार्यक्रम को प्रोत्साहन मिला है.
इसका परीक्षण डीआरडीओ के युवा वैज्ञानिकों की एक टीम ने किया. इसमें सशस्त्र बलों के पायलटों ने सहयोग किया.
मानवरहित विमान रुस्तम-2 से संबंधित मुख्य तथ्य:
• यह विमान मध्य ऊंचाई पर लंबी अवधि तक उड़ान भरने में सक्षम है.
• यह विमान 24 घंटे तक उड़ान भर सकता है.
• देश के सशस्त्र बलों के लिए टोही मिशन का काम कर सकता है.
• इस मानवरहित विमान को अमेरिका के प्रिडेटर ड्रोन की भांति मानवरहित लड़ाकू यान के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है.
• इस विमान का डिजाइन और विकास डीआरडीओ की बेंगलुरु की प्रयोगशाला एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट तथा एचएएल-बीईएल ने मिलकर काम किया है.
• इस विमान का वजन दो टन है.
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