भारत की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2020-21 में 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान : UN रिपोर्ट

Apr 10, 2020, 14:49 IST

मौजूदा वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान भारत की वृद्धि दर घटकर 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है और वित्त वर्ष 2021-22 के लिए वृद्धि दर 5.1 प्रतिशत रह सकती है.  

India GDP projected at 4.8 percent for 2020-21 says UN in Hindi
India GDP projected at 4.8 percent for 2020-21 says UN in Hindi

संयुक्त राष्ट्र के ‘एशिया और प्रशांत आर्थिक और सामाजिक सर्वेक्षण (ESCAP)’ वर्ष 2020 की ओर से स्थायी अर्थव्यवस्थाओं के लिए जारी संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) 4.8 फ़ीसदी रहने का अनुमान है. यह भविष्यवाणी 10 मार्च, 2020 तक उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर की गई थी.

वर्ष 2019-20 के लिए भारत की जीडीपी 5 फ़ीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था और विकास दर में वर्ष 2020-21 में 4.8 तक गिरावट का अनुमान है. इस रिपोर्ट में वर्ष 2021-22 के लिए सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर 5.1 फ़ीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है.

पिछले कुछ महीनों में भारत की जीडीपी में काफी गिरावट आई है, इसकी वजह रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल और एविएशन सेक्टर में मांग कम होना और क्रेडिट लिमिट का कम होना है. भारत की जीडीपी जुलाई-सितंबर 2019 की तिमाही में अपने पिछले 7 वर्षों में सबसे कम 4.5 फ़ीसदी थी. आय में कमी और बढ़ती बेरोजगारी ने भी भारत में विकास दर को धीमा किया है.

आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 में अनुमानित वृद्धि

केंद्रीय बजट 2020-21 से एक दिन पहले पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद 6-6.5 फ़ीसदी तक बढ़ने का अनुमान लगाया गया है जोकि वर्ष 2019-20 में 5 फ़ीसदी था.

एशिया और प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर कोविड -19 महामारी का प्रभाव

• UN ESCAP रिपोर्ट 2020 में कहा गया है कि कोविड -19 महामारी के प्रकोप की वजह से अन्य देशों के साथ होने वाले पर्यटन, व्यापार और अन्य वित्तीय क्रियाकलापों में कमी के कारण एशिया और प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

• 31 मार्च, 2020 तक कोविड – 19 के मामले लगातार बढ़ने के साथ ही नोवल कोरोनो वायरस महामारी पूरी दुनिया में तेजी से फैल रही है. कोविड-19 महामारी सबसे पहले चीन के वुहान शहर में बड़ी तेजी से फ़ैली और जल्दी ही पूरी दुनिया के कई देशों में फैल गई.

• कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कई उपाय जैसेकि लॉकडाउन, क्वारंटाइन और अन्य कई उपाय अपनाये जाने के बावजूद, इस महामारी ने पहले ही एशिया और प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं के साथ विश्व की अधिकतर अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित किया है.

• कोविड-19 के परिणामस्वरूप, UN ESCAP रिपोर्ट के अनुसार, व्यापारिक गतिविधियों में कमी के कारण एशिया-प्रशांत क्षेत्र की जीडीपी में 0.6-0.8 फ़ीसदी तक की गिरावट आ सकती है.

विश्व अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर

वर्ष 2008 की तुलना में वित्त वर्ष 2019-20 में, विश्व अर्थव्यवस्था 2.3 फ़ीसदी की धीमी गति से बढ़ी, जबकि वर्ष 2018 में यह जीडीपी 3 फ़ीसदी थी. वर्ष 2020 में विश्व अर्थव्यवस्था के 2020-21 में 2.0 फ़ीसदी की वृद्धि के साथ धीमा होने की उम्मीद है.  

इसके अलावा, एशिया-प्रशांत क्षेत्र की विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में मंदी को भारत, चीन और रूस जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने और अधिक बढ़ाया है.

UN ESCAP रिपोर्ट में सुझाए गए समाधान

विश्व अर्थव्यवस्था पर कोविड -19 के प्रभाव को दूर करने के लिए, एशिया-प्रशांत क्षेत्र के सभी देशों सहित विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए और आपस में समन्वय और सहयोग को मजबूत करना चाहिए.

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