कैपिटलाइन के आंकड़ों और सालाना रिपोर्टों के विश्लेषण में बताया गया है कि भारत में स्टाफ की तुलना में मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) की सैलरी 243 गुना अधिक है. सैलरी में औसत से ज्यादा बढ़ोतरी के साथ-साथ बोनस की वजह से सीईओ और अन्य टॉप अधिकारियों की सैलरी काफी तेज रफ्तार से बढ़ रही है.
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
• वर्ष 2017 में कंपनी के टॉप अधिकारियों की औसत सैलरी 12.1 प्रतिशत बढ़कर 9.8 करोड़ रुपये तक पहुंच गई.
• कर्मचारियों तथा सीईओ की सैलरी में अमेरिका के बाद भारत में सबसे अधिक अंतर देखा गया है.
• वर्ष 2017 में भारतीय कर्मचारियों की सैलरी में पिछले साल के मुकाबले 8.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. इसके बाद इनकी सैलरी बढ़कर 5,65,748 रुपये हो गई.
• वर्ष 2017 में अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के सीईओ की औसत सैलरी करीब 23.6 करोड़ रुपये थी तो भारतीय कंपनियों के सीईओ की औसतन 9.76 करोड़ रुपये थी.
• भारतीय कंपनियों के टॉप अधिकारियों को उनकी सैलरी के अलावा 40 से 83 प्रतिशत तक भत्ते और बोनस मिलते हैं.
• बीएसई 500 कंपनियों के ऐसे प्रमोटरों समेत सीनियर एग्जिक्युटिव्स की सैलरी वित्त वर्ष 2016 के मुकाबले 2017 में 43 से 84.8 प्रतिशत बढ़ गई जिन्होंने 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की है.
• बीएसई 500 कंपनियों के 104 सीनियर एग्जिक्युटिव्स के मेहनताना 10 करोड़ रुपये ज्यादा रहा.
कुछ भारतीय कम्पनियों के उदहारण
• भारत की सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी लार्सन एंड टूब्रो के ग्रुप चेयरमैन वित्त वर्ष 2017 में सबसे ज्यादा कंपनसेशन पाने वाले मैनेजमेंट प्रोफेशनल रहे. उन्हें रेमुनेरेशन के रूप में सालाना 19.3 पर्सेंट की बढ़ोतरी के साथ 78.91 करोड़ रुपये मिले. उनकी कंपनी में आम कर्मचारियों के औसत कंपनसेशन के मुकाबले उनका रेमुनेरेशन 1102 गुना रहा.
• इसी प्रकार टीसीएस के चेयरमैन को 17.55 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 30.16 करोड़ रुपये मिले. यह आंकड़ा कम्पनी के कर्मचारियों की सैलरी का 514 गुना है.
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