वर्ष 2017 में अल नीनो की स्थिति के कारण से भारत में मानसून को लेकर चिंता जताई जा रही है, नोमूरा की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है. हालांकि इसके साथ रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बारिश तथा फसल पर इसका प्रभाव सिर्फ इस एक घटनाक्रम पर ही निर्भर नहीं करेगा.
ऑस्ट्रेलिया के मौसम विभाग (एबीएम) के मुताबिक वर्ष 2017 में अल नीनो की स्थिति बनने की संभावना बढ़ी है. एबीएम के 8 माडलों पर सर्वे किया गया था जिसमें 6 से पता चलता है कि जुलाई 2017 तक अल नीनो सीमा पर पहुंचा जा सकता है. इससे वर्ष 2017 में अल नीनो बनने की संभावना 50 प्रतिशत हो जाती है.
अल-नीनो क्या है?
• अल-नीनो एक मौसम की स्थिति है जिसका भारत के मानसून पर गहरा असर पड़ता है.
• सामान्य मानसून भारत में खेती के लिये काफी महत्वपूर्ण होता है.
• मानसून की वर्षा पर देश की खेती का बड़ा हिस्सा निर्भर है.
• ऑस्ट्रेलिया के मौसम ब्यूरो के मुताबिक, वर्ष 2017 में अल-नीनो की स्थिति बनने की संभावना बढ़ी है.
• ऑस्ट्रेलिया के मौसम ब्यूरो द्वारा आठ माडलों पर सर्वे किया गया जिसमें छह से पता चलता है कि जुलाई 2017 तक अल-नीनो सीमा पर पहुंचा जा सकता है.
• इससे वर्ष 2017 में अल-नीनो बनने की संभावना 50 प्रतिशत हो जाती है.
• नोमुरा इंडिया की प्रमुख अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने एक शोध पत्र में कहा है की कुल मिलाकर वर्ष 2017 के सामान्य मानसून वर्ष से कमजोर रहने की संभावना, इसके सामान्य मानसून वर्ष से बेहतर रहने के मुकाबले ज्यादा लगती है.
• हालांकि, वर्षा तथा खाद्य उत्पादन पर इसके ठीक-ठीक प्रभाव का मामला कई अन्य कारकों पर भी निर्भर करेगा.
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