भारत और रूस द्वारा इस वर्ष अर्थात 2020 के अंत तक की जाने वाली वार्षिक शिखर बैठक में रक्षा रसद साझाकरण समझौते पर हस्ताक्षर करने की संभावना है. यह समझौता दोनों देशों को एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों और अन्य सहायता सुविधाओं तक सहज पहुंच बनाने में सक्षम करेगा.
यह औपचारिक समझौता अंतरसंचालनीयता की प्रक्रिया को सरल बनाएगा और विमान और युद्धपोतों जैसे सैन्य प्लेटफार्मों को समर्थन प्रदान करेगा.
इन दोनों देशों के बीच यह समझौता महत्वपूर्ण साबित होगा क्योंकि रूस भारत का एक प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता देश है, जिसके साथ संयुक्त अभ्यास भी हाल के वर्षों में बढ़ रहे हैं.
रक्षा रसद समझौते के बारे में
वर्तमान में रूस और भारत के बीच रक्षा रसद समझौते पर बातचीत की जा रही है और इस वर्ष के अंत में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान अगले वार्षिक शिखर सम्मेलन में हस्ताक्षर किए जा सकते हैं.
रूस ने आपातकालीन खरीद धारा के तहत विभिन्न उपकरणों के लिए भारत से अनुरोध के बाद हथियारों की स्थिर आपूर्ति का आश्वासन दिया है. इसमें मिसाइल, ख़ास गोला बारूद और असॉल्ट राइफल शामिल हैं.
हस्ताक्षर होने के बाद इस समझौते के तहत, युद्धपोतों को ईंधन भरने और आपूर्ति की वस्तुएं उठाने के लिए दोनों देशों को एक-दूसरे के विशेष आर्थिक क्षेत्रों और पारस्परिक बंदरगाहों तक पहुंच मिलेगी. ये दोनों देश भारत-प्रशांत क्षेत्र में उभरती साझेदारी के एक हिस्से के तौर पर चेन्नई-व्लादिवोस्तोक शिपिंग मार्ग को फिर से शुरू करने की योजना भी बना रहे हैं. यह रक्षा रसद संधि में भी शामिल किया सकता है.
इस समझौते से क्या उम्मीद की जा सकती है?
- एक बार इस समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद, भारतीय नौसेना रूसी मूल के युद्धपोतों की ताकत का इस्तेमाल करने के द्वारा इस समझौते का उपयोग करके अपने युद्ध अभ्यास के लिए आसानी से पारगमन कर सकेगी. इसी तरह, इस प्रस्तावित समझौते के अनुसार लड़ाकू विमानों को भी प्रवेश मिलेगा.
- हस्ताक्षर किए गए समझौते के अनुसार, एक निश्चित संख्या तक एक-दूसरे के देश में सैनिकों की तैनाती की व्यवस्था भी की जा सकती है.
- इसके बदले में, रूसी ईंधन भरने के लिए विशाखापट्टनम और मुंबई जैसे बंदरगाहों का उपयोग करने में सक्षम होंगे और रूसी हवाई अड्डों और ठिकानों पर पहुंचने पर भारत भी ऐसा कर सकेगा.
- इनमें आर्कटिक के रूसी भाग में उत्तरी मार्ग और बंदरगाहों तक पहुंच शामिल होगी.
- भारत निकट भविष्य में अपना एक आर्कटिक स्टेशन भी बना सकता है जिसमें रूस एक भागीदार हो सकता है क्योंकि रूस ने भारत को विशाल आर्कटिक क्षेत्र में ऊर्जा संसाधनों तक पहुंच का आश्वासन दिया है.
भारत के अन्य देशों के साथ ऐसे समान समझौते
- भारत का अपने सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार - संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ ऐसा ही समान साझाकरण समझौता है.
- भारत ने 2018 में फ्रांस के साथ भी इसी तरह का एक समझौता किया है, जो संयुक्त अभ्यास के लिए एक और बड़ा सहयोगी है.
- भारत और ऑस्ट्रेलिया ने जून, 2020 में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की आभासी बैठक में ऐसे ही समान समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
- जापान के साथ इसी तरह के एक समझौते को अंतिम रूप देने के लिए सरकार अभी चर्चा कर रही है.
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