NaVIC: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने क्षेत्रीय सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम 'नाविक' (NaVIC) के विस्तार की योजना बना रहा है. जिससे इसकी सेवाओं में विस्तार किया जा सके. इसको देश की सीमाओं से दूर यात्रा करने वाले जहाजों और विमानों द्वारा भी उपयोग के लिए विकसित किया जा रहा है.
इंडिया स्पेस कांग्रेस के इतर इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि 'नाविक' का विकास भारत और उसके आसपास के एक सीमित क्षेत्र तक किया जा रहा है साथ ही इसके वैश्विक पहुँच की भी योजना तैयार की जा रही है. अभी 'नाविक' (NaVIC) सिस्टम में सात सैटेलाइट का उपयोग किया जा रहा है.
5 Next Generation satellites under production for #NAVIC
— Indian Aerospace Defence News (IADN) (@NewsIADN) October 26, 2022
Will help restart the navigation service. Out of 7 satellites required, only 4 are operational today. The 5 new satellites will have new L-1 band and help reinstating the service.
1/2#IADN pic.twitter.com/WtMe8pGUVN
क्या है इसरो की योजना?
द नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन (NaVIC) वर्तमान में भारत में वास्तविक समय की स्थिति और समय सेवाएं प्रदान करने के लिए सात उपग्रहों का उपयोग करता है और देश की सीमाओं से 1,500 किमी तक का क्षेत्र कवर करता है. हालांकि, कांस्टेलेशन के कई सैटेलाइट काम करना बंद कर दिए है, इसके लिए इसरो इनमें से कम से कम पांच को बेहतर L-बैंड से रिप्लेस किये जाने की योजना बना रहा है. जिससे 'नाविक' की क्षमता का विकास और बेहतर हो जायेगा.
इन नए पांच सैटेलाइट में L-1, L-5 और S बैंड लगे होंगे जो इनएक्टिव सैटेलाइट को रिप्लेस करेंगे. सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी ने नाविक की पहुंच का विस्तार करने के लिए मीडियम अर्थ ऑर्बिट (MEO) में अतिरिक्त 12 सैटेलाइट को लांच करने की अनुमति के लिए सरकार से बातचीत जारी है.
'नाविक' क्यों है भारत के लिए महत्वपूर्ण?
'द नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन' (NaVIC) भारत का खुद का नेविगेशन सिस्टम है. जिसके विकास में इसरो लगा हुआ है. भारत इसकी मदद से अपनी निगरानी क्षमता का विस्तार किया है. देश की सीमाओं की रक्षा में भी यह यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. पाकिस्तान और चीन से लगी सीमाओं की देख-रेख के लिए इसका उपयोग किया जाता है. पहले भारत इसके लिए अमेरिका जैसे देशों पर निर्भर था जो निर्भरता अब काफी हद तक कम हुई है.
'नाविक' के बारें में:
'द नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन' (NaVIC) एक भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) है, जिसे इसरो द्वारा विकसित किया गया है. इसमें लगभग 36,000 किमी की दूरी पर स्थित 8 सैटेलाइट शामिल हैं. जिनमे से तीन सैटेलाइट भूस्थैतिक कक्षा (GEO) में और 5 उपग्रह भू-समकालिक कक्षा (GSO) में स्थित है. इसका मुख्य उद्देश्य भारत और उसके पड़ोस में नेविगेशन सेवाएं प्रदान करना है. इनमें से पहला सैटेलाइट (IRNSS-1A) 2013 में और उसके बाद 2018 में लॉन्च किया गया था.
विश्व के किन देशों के पास है खुद का नेविगेशन सिस्टम:
विश्व के प्रमुख और ताकतवर देशों के पास खुद का नेविगेशन सिस्टम है. अमेरिका ने अपना जीपीएस सिस्टम 1978 में लांच किया था. ग्लोनास (GLONASS) रूस का नेविगेशन सिस्टम है. इनके अलावा चीन, जापान, भारत और यूरोपियन यूनियन के पास अपना खुद का नेविगेशन सिस्टम है.
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