केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक पहल में भारतीय वन (संशोधन) अध्यादेश, 2017 की घोषणा की है जिससे कि गैर वन क्षेत्रों में उगाए गए बांस की को वृक्ष की परिभाषा के दायरे में लाए जाने से छूट मिले और इस प्रकार इसके आर्थिक उपयोग के लिए गिराने या पारगमन परमिट की आवश्यकता से छूट प्रदान की जा सके. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 22 नवंबर 2017 को इस बारे में भारतीय वन अधिनियम, 1927 के खंड 2 (7) के संशोधन पर अध्यादेश की घोषणा की थी.
यह भी पढ़ें: केंद्र सरकार ने आठ महानगरों में महिलाओं हेतु 'सुरक्षित-शहर' योजना शुरू की
बांस, हालांकि घास की परिभाषा के तहत आता है पर इसे भारतीय वन अधिनियम, 1927 कानूनी रूप से एक वृक्ष के रूप में परिभाषित किया गया है. इस संशोधन के पहले, किसी वन एवं गैर वन भूमि पर उगाए गए बांस को गिराने या पारगमन पर भारतीय वन अधिनियम, 1927 (आईएफए, 1927) के प्रावधान लागू होते थे. किसानों द्वारा गैर वन भूमि पर बांस की खेती करने की राह में यह एक बड़ी बाधा थी.
वन क्षेत्रों में उगाए गए बांस अभी भी भारतीय वन अधिनियम, 1927 के प्रावधानों द्वारा शासित होंगे. इस संशोधन का एक बड़ा लक्ष्य किसानों की आय बढ़ाने तथा देश के हरित कवर में बढोतरी करने के दोहरे लक्ष्य को हासिल करने के लिए गैर वन क्षेत्रों में बांस की खेती को प्रोत्साहित करना था. यह कदम संरक्षण एवं सतत विकास के अतिरिक्त, किसानों की आय को दोगुनी करने के लक्ष्य के अनुरूप है.
स्रोत(पीआईबी)
Comments
All Comments (0)
Join the conversation