सूचना एवं प्रोद्योगिकी मंत्रालय ने हाल ही में लाई-फाई (Li-Fi) नामक तकनीक का सफल परीक्षण किया है. इस तकनीक में एलईडी बल्ब द्वारा इंटरनेट चलाया जा सकता है तथा हेवी डाटा ट्रांसफर किया जा सकता है.
भारत में पायलट प्रोजेक्ट के तहत आरंभ की जा रही लाई-फाई (Li-Fi) तकनीक को भारत की भविष्य की योजनाओं के लिए काफी अहम माना जा रहा है. देश में भविष्य में बनने वाले स्मार्ट सिटीज में लाई-फाई तकनीक काफी काम की होगी क्योंकि यहां मॉडर्न सिटी मैनेजमेंट में इंटरनेट काफी जरूरी होगा और इसमें कनेक्टेड रहने के लिए एलईडी बल्ब का प्रयोग किया जाएगा.
भारत में लाई-फाई (Li-Fi) तकनीक पर प्रयोग
• इस तकनीक को लाई-फाई (लाइट फिडेलिटी) का नाम दिया गया है जिसमें एलईडी बल्ब और लाइट स्पेक्ट्रम के जरिए 10 जीबी डाटा प्रति सेकंड की स्पीड से एक किलोमीटर के एरिया में ट्रांसफर किया जा सकता है.
• सरकार का मानना है कि देश के ऐसे इलाके जहां बिजली तो है लेकिन फाइबर ऑप्टिक्स नहीं है, वहां इसके जरिए इंटरनेट पहुंचाना संभव हो सकता है.
• इस पायलट प्रोजेक्ट पर आईआईटी मद्रास के साथ काम किया जा रहा है जिसमें एलईडी बल्ब बनाने वाली कंपनी फिलिप्स भी सहयोगी है.
• साइंटिफिक सोसायटी एजुकेशन ऐेंड रिसर्च नेटवर्क इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु के साथ इस तकनीक का प्रयोग शहरों में करना चाहता है.
लाई-फाई (Li-Fi) तकनीक क्या है?
• लाई-फाई तकनीक की खोज दो वर्ष यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग में मोबाइल कम्युनिकेशन के प्रफेसर हैरल्ड हास ने की थी.
• इसके बाद गूगल और नासा जैसी संस्थाएं भी इस तकनीक पर काम कर रही हैं.
• लाई-फाई तकनीक की विशेषता है कि इसके लिए किसी भी तरह के मोबाइल स्पेक्ट्रम की जरूरत नहीं है.
• इस तकनीक का बेहतर उपयोग करने के लिए क्लियर लाइन ऑफ साइट की जरूरत होगी और अगर बीच में कोई दीवार जैसी ठोस सतह आ जाती है तो इसमें रुकावट आ सकती है.
• इसके लिए एलईडी लाइट्स का ऐसा जाल बिछाए जाने की जरूरत होगी जिससे सिग्नल में रुकावट न आए.
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