भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा की गयी खोज नासा के अंतरिक्ष यानों में शामिल होगी

Jan 30, 2018, 09:45 IST

राजस्थान के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित की गई स्पेसक्राफ्ट के गैस टरबाइन इंजन में इस्तेमाल होने वाली थर्मल स्प्रे कोटिंग तकनीक में कुछ सुधार किए हैं.

NASA shows interest in made in India spray coating technology
NASA shows interest in made in India spray coating technology

विश्वभर में अन्तरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में भारत तेजी से अपनी पहचान कायम कर रहा है. हाल ही में राजस्थान के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित थर्मल स्प्रे कोटिंग तकनीक में नासा के वैज्ञानिकों ने रुचि जाहिर की है तथा इसे अंतरिक्ष यानों का भविष्य बताया है.

राजस्थान के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित की गई स्पेसक्राफ्ट के गैस टरबाइन इंजन में इस्तेमाल होने वाली थर्मल स्प्रे कोटिंग तकनीक में कुछ सुधार किए हैं. इससे स्प्रे कोटिंग पहले से अधिक सुरक्षित एवं कम खर्चीली हो जाएगी.

क्या है खोज?

मेटैलाइजिंग इक्यूपमेंट कंपनी (एमईसी) में रिसर्च एंड डेवलपमेंट के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. टेलर ने यट्टरिआ स्टेबिलिश्ड जिरकोनिआ (वाईएसजेड)-प्लाज्मा स्प्रेड कोटिंग टेक्नोलॉजी विकसित की है. इस तकनीक के जरिए थर्मल स्प्रे कोटिंग की लागत लगभग 50 फीसद तक कम हो जाएगी. स्पेसक्राफ्ट्स के गैस टरबाइन इंजन को वर्टिकल क्रैक्स से कोटिंग किया जाना फायदेमंद होता है. वर्तमान में शोधकर्ताओं द्वारा कोटिंग के लिए जो तकनीक इस्तेमाल की जाती है वह बहुत ही महंगी है.

जोधपुर स्थित मेटैलाइजिंग इक्यूपमेंट कंपनी (एमईसी) के चेयरमैन एस.सी. मोदी ने मीडिया को बताया कि डॉ. सतीश टेलर की खोज के सिरेमिक्स इंटरनेशनल और थर्मल स्प्रे बुलैटिन में प्रकाशित होने के बाद नासा के वैज्ञानिक जेम्स एल स्मियालेक ने रुचि दिखाते हुए उन्हें ई-मेल किया.

 

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नई तकनीक का लाभ

•    फिलहाल शोधार्थी इस तरह के क्रैक्स बेहद महंगी प्रक्रिया के जरिये विकसित करते हैं.

•    क्रैक्स कोटिंग डिपोजिशन प्रक्रिया के दौरान क्रैक्स पैदा होना नियंत्रित नहीं है. यह तकनीक वर्तमान में इस्तेमाल हो रही तकनीक से ज्यादा कारगर और सस्ती है.

•    इससे स्पेसक्राफ्ट्स के गैस टरबाइन इंजन को अधिक मजबूती तथा टिकाऊ प्रक्रिया मिलेगी.

थर्मल स्प्रे कोटिंग तकनीक

•    थर्मल स्प्रे कोटिंग टेक्नोलॉजी थर्मल स्प्रे कोटिंग प्रक्रियाओं की संख्या को दर्शाती है जिसमें सब्सट्रेट को कार्यात्मक प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए कोटिंग किया जाता है.

•    इसमें बेहद उच्च वेग से जुड़ी हुई कोटिंग्स शामिल होंगी जिसमें पिघली हुआ या अर्ध-पिघली हुई अवस्था में सूक्ष्मता से विभाजित कणों को सब्सट्रेट पर लगाया जाता है.

•    थर्मल स्प्रे प्रोसेस में विभिन्न कोटिंग पदार्थों को लगाया जा सकता है.

•    यह कोटिंग्स मोटाई में एक इंच के हज़ारवें भाग से लेकर तक आठवें भाग तक की हो सकती हैं.

•    थर्मल स्प्रे कोटिंग्स को घर्षण, जंग, उच्च तापमान, आदि से यान के भागों की रक्षा के लिए और उपयोग किया जाता है.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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