अमेरिकी डॉलर की तुलना में भारतीय रुपये में लगातार गिरावट जारी है. एक डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 28 जून 2018 को अब तक के सबसे न्यूनतम स्तर 69.10 पर पहुंच गया.
अंतर बैंकिंग मुद्रा बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 68.87 रुपये प्रति डॉलर पर खुला और शुरुआती कारोबार में 49 पैसे गिरकर 69.10 रुपये प्रति डॉलर पर आ गया.
डॉलर में बढ़त के कारण रुपये पर दबाव बना हुआ है. कच्चे तेल में तेजी से रुपये पर दोहरा दबाव बना है. इस साल रुपया अब तक 8 प्रतिशत से ज्यादा टूट चुका है. इससे देश में महंगाई बढ़ने का खतरा बन गया है.
रुपये में गिरावट के कारण
• अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर बढ़ने की आशंकाओं के चलते भारतीय रुपये पर दबाव बन रहा है.
• इसके अलावा, अमेरिका द्वारा चीन सहित सभी सहयोगी देशों से ईरान से कच्चे तेल का आयात चार नवंबर तक बंद करने को कहा था.
• इस घोषणा से वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया और डॉलर की कीमतों में भी वृद्धि हुई है.
• इसके अतिरिक्त, हर महीने के आखिर में ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (HPCL, IOC, BPCL) की ओर से डॉलर की मांग बढ़ जाती है. इसीलिए महीने के अंत में भारतीय रुपया कमजोर हुआ है.
वर्ष 2018 में रुपये की गिरावट
रुपए ने पिछले वर्ष डॉलर की तुलना में 5.96 प्रतिशत की मजबूती दर्ज की थी, जो 2018 की शुरुआत से लगातार कमजोर हो रहा है. इस साल अभी तक रुपया लगभग 8 प्रतिशत टूट चुका है. इससे पहले रुपये ने 24 नवंबर, 2016 को प्रति डॉलर 68.68 का ऐतिहासिक निचला स्तर छुआ था और 28 अगस्त, 2013 को 68.80 का न्यूनतम स्तर पर पहुंचा था लेकिन वर्तमान स्तर उससे भी अधिक गिरावट के साथ दर्ज किया गया है.
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