विश्व बैंक ने इस 8 अक्टूबर, 2020 को यह कहा है कि, कोविड -19 महामारी के कारण चालू वित्त वर्ष (2020-21) में भारत की अर्थव्यवस्था में 9.6 प्रतिशत तक मंदी आने की उम्मीद है. भारत की अर्थव्यवस्था दक्षिण एशिया में सबसे बड़ी है.
विश्व बैंक ने अपने एक अर्द्धवार्षिक क्षेत्रीय अपडेट में यह कहा है कि, इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं पर कोविड -19 के विनाशकारी प्रभावों के लंबे समय तक बने रहने के कारण, दक्षिण एशिया अपनी अभी तक की सबसे खराब आर्थिक मंदी झेलने के लिए तैयार है. यह अनौपचारिक श्रमिकों को काफी बुरी तरह प्रभावित करेगा और दक्षिण एशिया के लाखों लोगों को अत्यधिक गरीबी में धकेल देगा.
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट, जिसका शीर्षक 'बीटन या ब्रोकन? अनौपचारिकता और कोविड -19’ है, में दक्षिण एशिया क्षेत्र में आर्थिक मंदी पूर्व अननुमानित अपेक्षित मंदी की तुलना में कहीं अधिक है.
मुख्य विशेषताएं
विश्व बैंक की इस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में 6 प्रतिशत सालाना की वृद्धि के बाद, वर्ष 2020 में दक्षिण एशिया की क्षेत्रीय वृद्धि में 7.7 प्रतिशत तक मंदी आने की संभावना है. हालांकि, वर्ष 2021 में यहां के क्षेत्रीय विकास में 4.5 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति होने का अनुमान है.
जनसंख्या में वृद्धि होने के कारण, इस क्षेत्र में प्रति-व्यक्ति आय वर्ष 2019 के अनुमान से 6 प्रतिशत तक कम रहेगी. यह इंगित करता है कि महामारी से होने वाली स्थायी आर्थिक क्षति की भरपाई यह अपेक्षित पलटाव (इकनोमिक रिबाउंड) नहीं करेगा.
विश्व बैंक की इस रिपोर्ट में आगे यह कहा गया है कि, पिछली आर्थिक मंदी के मामले में, निवेश और निर्यात गिरने से मंदी का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस बार यह अलग है क्योकि निजी खपत, जो परंपरागत रूप से दक्षिण एशिया में मांग की रीढ़ होने के साथ ही आर्थिक कल्याण का एक प्रमुख संकेतक भी है, इसमें 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आएगी जिससे गरीबी दर में और वृद्धि होगी.
इसके अलावा, कुछ देशों में सबसे गरीब लोगों की आजीविका के नुकसान में तेज़ी आने के कारण, निधि के अंतरण और भुगतान में गिरावट की भी उम्मीद है.
दक्षिण एशिया क्षेत्र के लिए विश्व बैंक के उपाध्यक्ष, हार्टविग स्केफर के अनुसार, कोविड -19 के दौरान दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्थाओं का पतन प्रत्याशित मंदी से कहीं अधिक हानिकारक रहा है, जिसका सबसे बुरा असर छोटे व्यवसायों और अनौपचारिक श्रमिकों पर पड़ा है जो अचानक नौकरी छूटने और मजदूरी न मिलने का दंड भुगत रहे हैं.
स्केफर ने यह भी कहा कि, “हालांकि तत्काल राहत ने इस महामारी के प्रभावों को थोड़ा कम कर दिया है, लेकिन अभी भी सरकारों को अपने अनौपचारिक क्षेत्रों की गंभीर कमजोरियों को स्मार्ट नीतियों के माध्यम से दूर करना चाहिए और अपने दुर्लभ संसाधनों को बुद्धिमानी से आवंटित करना चाहिए."
महत्व
दक्षिण एशिया में सभी श्रमिकों का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा, विशेष रूप से आतिथ्य, खुदरा व्यापार और परिवहन जैसे क्षेत्रों में, अनौपचारिक रोजगार पर निर्भर है और ये क्षेत्र कोविड -19 रोकथाम उपायों से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं.
विश्व बैंक की इस रिपोर्ट में यह चेतावनी दी गई है कि, अनौपचारिक श्रमिकों और फर्मों के पास कोविड - 19 के अप्रत्याशित परिमाण का सामना करने के लिए बहुत कम क्षमता है. बढ़ती हुई खाद्य कीमतों के कारण, गरीबों को भारी नुकसान उठाना पड़ा, इस आय की गिरावट के बीच कोविड -19 संकट ने कई अनौपचारिक श्रमिकों को एक और झटका दिया है जिनकी आय में काफी गिरावट आ गई है. इस रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि, केवल कुछ अनौपचारिक श्रमिकों को ही सामाजिक बीमा द्वारा कवर किया जाता है या फिर, उनके पास बचत होती हिया या उनकी वित्त तक पहुंच होती है.
सुझाव
विश्व बैंक की यह रिपोर्ट सरकारों से सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा के साथ-साथ अधिक उत्पादकता, कौशल विकास और मानव पूंजी का समर्थन करने वाली नीतियों को तैयार करने का आग्रह करती है.
इस रिपोर्ट के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय और घरेलू वित्तपोषण हासिल करने से, सरकारों को वसूली को गति देने के लिए, महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को निधि सहायता देने में मदद मिलेगी.
इसके अलावा, दीर्घकालिक अवधि में, अगर देश सभी के लिए डिजिटल पहुंच में सुधार करते हैं और श्रमिकों को ऐसे डिजिटल प्लेटफार्मों का लाभ उठाने में सक्षम बनाते हैं तो ये डिजिटल प्रौद्योगिकियां अनौपचारिक श्रमिकों के लिए नए अवसर पैदा करने, दक्षिण एशिया को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने और बाजारों कें साथ बेहतर तरीके से एकीकृत करने में एक आवश्यक भूमिका निभा सकती हैं.
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