भारत के स्वदेशी हल्के परिवहन विमान सरस ने 21 फरवरी 2018 को दूसरी बार परीक्षण उड़ान सफलतापूर्वक पूरी की. सरस विमान ने बेंगलुरु के एचएएल हवाई अड्डे से उड़ान भरी.
सरस पीटी1एन के उत्पादन संस्करण का इस्तेमाल रोकने से पहले निर्धारित 20 परीक्षण उड़ानों में से यह दूसरी उड़ान थी. पहली सफल उड़ान का परीक्षण इस वर्ष 24 जनवरी को किया गया था. विमान का डिजाइन और विकास सीएसआईआर-नेशनल एयरो स्पेस लैबोलेट्रीज (एनएएल) द्वारा किया गया है. एनएएल के अनुसार उत्पादन मॉडल डिजाइन के इस वर्ष जून-जुलाई तक तैयार होने की उम्मीद है.
सरस विमान की तकनीकी विशेषताएं
परियोजना को पुनर्जीवित करने के बाद एनएएल ने डिजाइन में कुछ परिवर्तन किए और सरस पीटी 1 मॉडल में सुधार, जैसे 2X1200 एसएचपी इंजन और 104 इंच के घेरे वाला प्रोपेलर असेम्बल को शामिल किया, ताकि दूसरे खंड की उतार-चढ़ाव जरूरतों, आधुनिक उड़ान नियंत्रण प्रणाली, रडर क्षेत्र, प्रमुख पहिए और ब्रेक, 7100 किलोग्राम एयूवी स्वदेश में विकसित स्टॉल चेतावनी प्रणाली आदि संबंधी उड़ान जरूरतों को पूरा किया जा सकें. सरस इसी श्रेणी के किसी आयातित विमान की तुलना में 20-25 प्रतिशत सस्ता होगा. आधुनिक संस्करण 14 सीटों के स्थान पर 19 सीटों का विमान होगा.
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सरस विमान का भारत के लिए लाभ
विमान की यूनिट लागत, 70 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामान के साथ, 40-45 करोड़ होगी, जबकि आयातित विमान की कीमत 60-70 करोड़ है और इसके आयातित विमान की तुलना में अधिक फायदे हैं. सरस विमान एयर टैक्सी, वायु अनुसंधान/सर्वेक्षण, विशेष परिवहन, आपदा प्रबंधन, सीमा पर गश्त, तटरक्षक, एम्बुलेंस और अन्य सामुदायिक सेवाओं जैसे विभिन्न कार्यों के लिए सरकार की उड़ान योजना के अंतर्गत यात्री सम्पर्क के लिए एक आदर्श विमान है. इसका सफल विकास भारत में नागर विमानन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना होगी.
अपग्रेड किए गए सरस एमके 2 संस्करण में कुछ अनोखी विशेषताओं जैसे हाई क्रूज स्पीड, कम ईंधन उपयोग, लघु लैंडिंग और टेक ऑफ दूरी, कैबिन में कम शोरगुल, उच्च और गर्म एयरफील्ड से संचालन की क्षमता, दबावयुक्त कैबिन, अर्द्ध तैयार एयरफील्ड से परिचालन और कम अधिग्रहण और रखरखाव लागत के साथ विशेष वेट/ड्रेग रिडक्शन है.
अंतरराष्ट्रीय बाज़ार और भारत
अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में इस समय उपलब्ध विमान 1970 की टेक्नोलॉजी के हैं. इनमें बीचक्राफ्ट 19000डी, डोर्नियर-228, एम्ब्रेयर ईएमबी 110 शामिल है. इनका ईंधन खर्च अधिक है, स्पीड कम है, दबाव मुक्त केबिन है, इनकी संचालन लागत अधिक है और ये गर्म और ऊंचाई वाले एयरफील्ड से उड़ान भरने के लिए अनुपयुक्त है. भारत द्वारा अपनी हल्की परिवहन विमान परियोजना शुरू करने के बाद रूस, चीन, अमरीका, इंडोनेशिया और पोलैंड जैसे देशों ने अगली पीढ़ी के 19 सीट वाले विमान के विकास के लिए नये कार्यक्रम शुरू किए.
(स्रोत: पीआईबी)
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