अबतक यह आम धारणा रही है कि हिमालय से निकलने वाली बड़ी नदियों के आस-पास के क्षेत्रों में सिंधु घाटी सभ्यता व उसके नगरों का विकास हुआ. इन नदियों के सूखने के साथ ही यह सभ्यता समाप्त हो गई लेकिन, ऐसा नहीं है. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर व इंपीरियल कॉलेज लंदन ने छह साल के शोध के बाद यह साबित किया है कि बड़ी नदियां सूखने के बाद भी यह सभ्यता तीन हजार साल तक जिंदा रही. छोटी नदियों के सहारे वहां के बाशिंदे खेती-बाड़ी करके जीवन यापन करते रहे. आइआइटी के पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रो. राजीव सिन्हा के नेतृत्व में अध्ययन दल ने यह शोध कार्य किया है.
वैज्ञानिकों ने टीबी का टीका की खोज की
इस शोध कार्य को अंतरराष्ट्रीय जनरल ‘नेचर कम्युनिकेशन’ ने प्रकाशित किया है. शोध से जुड़े दोनों संस्थानों के अनुसंधान दल ने अध्ययन करने के बाद अब तक की अवधारणा को चुनौती दी है और सिद्ध किया है कि सिंधु घाटी में नगरों का विकास बड़ी नदियों के स्थानांतरण के बाद बंद नहीं हुआ था. इस सभ्यता का विकास सिंधु नदी बेसिन के आस-पास के क्षेत्र में हुआ है जिसका कुछ हिस्सा पाकिस्तान में और कुछ भारत में है. पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार, गंगा-यमुना दोआब, सिंधु नदी एवं पौराणिक सरस्वती नदी (जिस चैनल में वर्तमान में घग्गर-हाकरा नदियां बहती हैं) के किनारे अनुसंधान दल ने सिंधु घाटी सभ्यता की नगरीय व्यवस्था की खोज की है.
इसरो 2019 में सूर्य पर आदित्य एल-1 मिशन भेजेगा
अध्ययन दल ने दो महत्वपूर्ण तथ्य अपने विश्लेषण के दौरान पाए. पहला, घग्गर-हाकरा रिवर चैनल की गाद का विश्लेषण करके यह पाया कि इस चैनल में सतलज नदी बहा करती थी. इस नदी ने अपना रास्ता बदलने से पहले घाटी का निर्माण कर दिया, जिससे मानसूनी नदियों को बहने का रास्ता मिल गया जो इस चैनल में बहती रहीं। दूसरा, अध्ययन दल ने यह भी पता लगाया कि सतलज नदी ने सिंधु घाटी सभ्यता के इस क्षेत्र में विकसित होने से पहले अपने पुराने रास्ते में बहना बंद कर दिया था. डाटा विश्लेषण के बाद टीम ने पाया कि इस चैनल में बहने वाली बड़ी नदियों ने आठ हजार साल बाद बहना बंद कर दिया था.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation