अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस हर साल 23 जून को पूरे विश्व में मनाया जाता है. यह दिन व्यापक रूप से विधवाओं की आवाज़ों और उन्हें होने वाले अनुभवों पर ध्यान आकर्षित करने और उनके द्वारा किए जाने वाले अद्वितीय समर्थन को प्रोत्साहित करने के लिए जाना जाता है.
इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि पूरे विश्व में विधवा महिलाओं की स्थिति में सुधार हो सके और वे भी सामान्य जीवन व्यतीत कर सकें. इसी के उद्देश्य से पूरा विश्व 23 जून को अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस मनाता है. विधवाओं और उनके बच्चों से दुर्व्यवहार मानव अधिकारों का सबसे गंभीर उल्लंघन और आज के विकास में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है.
अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस का उद्देश्य
यह दिवस विधवा महिलाओं की समस्याओं की प्रति जागरुकता फैलाने हेतु मनाया जाता है. यह दिवस विधवाओं की स्थिति पर प्रकाश डालता है. इससे पता चलता है कि उन्हें समाज में किस प्रकार की उपेक्षा एवं दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. हालांकि, ज्यादातर नागरिक समाज संगठन भी समाज के इस उपेक्षित वर्ग की अनदेखी करते हैं. आमतौर पर विधवाओं को समाज से बहिष्कार जैसी स्थिति से गुजरना पड़ता है. विधवाओं एवं उनके बच्चों के साथ किया जाने वाला दुर्व्यवहार मानव अधिकारों की श्रेणी में गंभीर उल्लंघन है.
115 मिलियन विधवाएं गरीबी में रहने को मजबूर
दुनिया की लाखों विधवाओं को गरीबी, हिंसा, बहिष्कार, बेघर, बीमार, स्वास्थ्य जैसी समस्याएं और कानून व समाज में भेदभाव सहना करना पड़ता है. एक अनुमान के अनुसार कहा जाता है कि, लगभग 115 मिलियन विधवाएं गरीबी में रहने को मजबूर हैं, जबकि 81 मिलियन महिलाएं ऐसी हैं जो शारिरिक शोषण का सामना करती हैं.
पृष्ठभूमि
दरअसल, सभी उम्र, क्षेत्र और संस्कृति की विधावाओं की स्थिति को विशेष पहचान दिलाने के लिए 23 जून 2011 को पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस मनाने की घोषणा की, और तब से हर साल इस दिन को 23 जून को मनाया जाता है. ब्रिटेन की लूंबा फाउंडेशन पूरे विश्व की विधवा महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार पर विगत सात सालों से संयुक्त राष्ट्र संघ में अभियान चला रही है.
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