मिशन चंद्रयान-2 का लॉन्चिंग टला, जानें नई तारीख और कारण

Jul 16, 2019, 18:15 IST

भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी मिशन चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग देखने के लिए श्री हरिकोटा में ही थे. वैज्ञानिक दृष्टि के अनुसार, यह बहुत जोखिम भरा होता यदि उड़ान के बाद उसमें खराबी आती. यह लॉन्चिंग होने के बाद विश्व में अंतरिक्ष महाशक्ति कहलाने वाले भारत के लिए यह बड़ी उपलब्धि होगी.

ISRO cancels Chandrayaan 2 launch
ISRO cancels Chandrayaan 2 launch

इसरो ने लॉन्चिंग सिस्टम में तकनीकी दिक्कत के कारण मिशन चंद्रयान-2 को स्थगित कर दिया हैं. इसरो ने अपने जारी बयान बताया कि लॉन्चिंग की नई तारीख की घोषणा जल्द ही की जाएगी. इसरो ने रात 2.51 पर तय उड़ान से 56 मिनट 24 सेकंड पहले तकनीकी खराबी के वजह से रात 01 बजकर 54 मिनट और 36 सेकंड पर रोक दिया गया.

भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी मिशन चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग देखने के लिए श्री हरिकोटा में ही थे. वैज्ञानिक दृष्टि के अनुसार, यह बहुत जोखिम भरा होता यदि उड़ान के बाद उसमें खराबी आती. यह लॉन्चिंग होने के बाद विश्व में अंतरिक्ष महाशक्ति कहलाने वाले भारत के लिए यह बड़ी उपलब्धि होगी.

मिशन की ख़ास बात

इस मिशन की मुख्य बात ये है कि ये चंद्रयान उस जगह पर जाएगा जहां अब तक कोई देश नहीं गया है. चंद्रयान चांद के दक्षिणी धुव्र पर उतरेगा. कोई भी अंतरिक्ष एजेंसी इस इलाक़े से जुड़े जोखिमों के कारण वहां नहीं उतरी है. अधिकांश मिशन भूमध्यरेखीय क्षेत्र में गए हैं जहां दक्षिण धुव्र की तुलना में सपाट जमीन है. दक्षिणी ध्रुव ज्वालमुखियों और उबड़-खाबड़ जमीन से भरा हुआ है और यहां उतरना जोखिम भरा है.

मिशन का उद्देश्य

मिशन का उद्देश्य चांद की सतह पर सुरक्षित उतरना और फिर सतह पर रोबोट रोवर संचालित करना है. इस मिशन मुख्य उद्देश्य चांद की सतह का नक्शा तैयार करना, खनिजों की उपस्तिथि का पता लगाना, चंद्रमा के बाहरी वातावरण को स्कैन करना तथा किसी न किसी रूप में पानी की उपस्थिति का पता लगाना होगा. इस प्रयास का मकसद चांद को लेकर हमारी समझ को और बेहतर करना और मानवता को लाभ पहुचानें वाली खोज करना है.

भारत चौथा राष्ट्र

इसरो द्वारा इस महत्वपूर्ण मिशन को जल्द ही अंजाम दिया जाएगा. इसके साथ ही भारत पहली बार चंद्रमा पर पहुचेगा. भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश होगा. विश्व में अंतरिक्ष महाशक्ति कहलाने वाले भारत के लिए यह बड़ी उपलब्धि होगी. भारत से पहले सोवियत संघ, संयुक्त राज्य अमरीका और चीन यह करनामा कर चुके है.

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मिशन की जरूरत क्यों?

चंद्रयान-1 की खोजों को आगे बढ़ाने के लिए चंद्रयान-2 को भेजा जा रहा है. चंद्रयान-1 दवारा खोजे गए पानी के अणुओं के साक्ष्यों के बाद आगे चांद की सतह पर, सतह के नीचे और बाहरी वातावरण में पानी के अणुओं के वितरण की सीमा का अध्ययन करने की जरूरत है. इस मिशन में ऑर्बिटर चांद के आसपास चक्कर लगाएगा, विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी धुव्र के पास सुरक्षित और नियंत्रित लैंडिंग करेगा और प्रज्ञान चांद की सतह पर जाकर प्रयोग करेगा.

चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड

स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं. आठ ऑर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर विक्रम और दो पेलोड रोवर प्रज्ञान में हैं. भारत के पांच पेलोड, यूरोप के तीन पेलोड, अमेरिका के दो पेलोड और बुल्गारिया के एक पेलोड हैं. लैंडर विक्रम का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डॉक्टर विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है.

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जीएसएलवी एमके-3 का इस्तेमाल

इस मिशन के लिए भारत के सबसे शक्तिशाली 640 टन के रॉकेट जीएसएलवी एमके-3 का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह 3890 किलो के चंद्रयान-2 को लेकर जाएगा. यह लैंडर 6 सितंबर 2019 को चांद के दक्षिणी धुव्र के पास दो ज्वालामुखियों मैनज़ीनस सी और सिमपेलियस एन के बीच में ऊंची सपाट जगह पर उतरेगा.

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