लोकसभा ने एससी/एसटी कानून संशोधन विधेयक, 2018 पारित किया

Aug 7, 2018, 12:51 IST

यह संशोधन विधेयक लोकसभा में केंद्रीय न्याय एवं आधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने पिछले सप्ताह पेश किया था. इसके निर्णय आने के समय में अनिश्चितता को देखते हुए सरकार ने ये संशोधन विधेयक लाने का निर्णय लिया है.

Lok Sabha passes bill to restore original provisions of SC/ST Act
Lok Sabha passes bill to restore original provisions of SC/ST Act

लोकसभा ने 06 अगस्त 2018 को अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी/एसटी) अत्‍याचार निवारण संशोधन विधेयक, 2018 पारित कर दिया है. सदन में चर्चा के बाद इस बिल को सर्वसम्मति से पास कर दिया गया.

विधेयक में 1989 में बने इसी अधिनियम में संशोधन का प्रस्‍ताव है ताकि अधिनियम की मूल भावना को बनाए रखा जा सके.

यह संशोधन विधेयक लोकसभा में केंद्रीय न्याय एवं आधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने पिछले सप्ताह पेश किया था. इसके निर्णय आने के समय में अनिश्चितता को देखते हुए सरकार ने ये संशोधन विधेयक लाने का निर्णय लिया है.

सरकार ने दलित संगठनों के बढ़ते विरोध को देखते हुए इस बिल को पहले कैबिनेट के सामने पेश किया. कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद इसे लोकसभा में पेश किया गया था. अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा.

करीब छह घंटे तक चली चर्चा के बाद सदन ने कुछ सदस्यों के संशोधनों को नकारते हुए ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी दे दी.

विधेयक से संबंधित मुख्य तथ्य:

  • इस विधेयक में न सिर्फ पिछले कड़े प्रावधानों को वापस जोड़ा गया है बल्कि और ज्यादा सख्त नियमों को भी इसमें सम्मिलित किया गया है.
  • अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के खिलाफ होनेवाले अत्याचारों को रोकने के लिए बना कानून पहले की तरह ही सख्त रहेगा.
  • इस विधेयक के जरिए न सिर्फ इस मामले में पहले से बना कानून बहाल होगा बल्कि इसे और सख्त बनाया जा सकेगा.
  • सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी, लेकिन न्याय मिलने में देरी ना हो इसलिए विधेयक के जरिए कानून में बदलाव किया जा रहा है.
  • जिस व्यक्ति पर एससी-एसटी कानून का अभियोग लगा हो तो उस पर कोई और प्रक्रिया कानून लागू नहीं होगा.
  • किसी व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर रजिस्टर करने के लिए प्रारंभिक जांच की जरूरत नहीं होगी.
  • ऐसे व्यक्ति की गिरफ्तारी से पहले जांच अधिकारी को किसी अनुमोदन की जरूरत नहीं होगी.
  • आरोपी व्यक्ति को अग्रिम जमानत भी हासिल नहीं हो सकेगी.
  • इस विधेयक के कानून बनने के बाद दलितों पर अत्याचार के मामले दर्ज करने से पहले पुलिस को किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी और मुजरिम को अग्रिम जमानत भी नहीं मिलेगी.
  • प्राथमिकी दर्ज करने से पहले पुलिस जांच की भी जरूरत नहीं होगी और पुलिस को सूचना मिलने पर तुरंत प्राथमिकी दर्ज करनी पड़ेगी.
  • विधेयक में यह भी व्यवस्था की गयी है कि किसी भी न्यायालय के फैसले या आदेश के बावजूद दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 के प्रावधान इस कानून के तहत दर्ज मामले में लागू नहीं होंगे

पृष्ठभूमि:

सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को एससी/एसटी अत्याचार निवारण कानून के कुछ सख्त प्रावधानों को हटा दिया था जिसके कारण इससे जुड़े मामलों में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लग गयी थी और प्राथमिकी दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच जरूरी हो गयी थी

दलित संगठनों ने सरकार से कानून को फिर से बहाल करने की मांग की थी, जिसके बाद सरकार ये कानून लेकर आई है. इस कानून में जो बदलाव किए गए हैं उसके अनुसार पहले एससी-एसटी कानून के दायरे में 22 श्रेणी के अपराध आते थे, लेकिन अब इसमें 25 अन्य अपराधों को शामिल करके कानून काफी सख्त बनाया जा रहा है.

Jagran Josh
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