गरीब और जरूरतमंदों की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाली मदर टेरेसा की आज (26 अगस्त) 111वीं जयंती है. अपने जीवन को बीमार और समाज के सबसे निचले पायदान पर मौजूद लोगों की सेवा में लगाने के लिए उन्हें आज श्रद्धा से याद किया जा रहा है. उनका जन्म 26 अगस्त 1910 को अल्बानिया में हुआ था.
मदर टेरेसा कैथोलिक नन थी. उन्होंने गरीबों और बीमारी से पीड़ित रोगियों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था. मदर टेरेसा दुनिया के लिए शांति की दूत थीं. उन्हें साल 1979 में 17 अक्टूबर को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्हें साल 1980 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया.
शांति और प्रेम बनाए रखने का काम
मदर टेरेसा के सीखों ने समाज में शांति और प्रेम बनाए रखने का काम किया है. वे कम उम्र में ही भारत आ गईं और उसके बाद यहीं की होकर रह गईं. उन्होंने अपना पूरा जीवन बीमार और बेसहारा लोगों की सेवा में बिता दिया. मदर टेरेसा ने साल 1948 में भारत की नागरिकता ली थी.
मदर टेरेसा का निधन
मदर टेरेसा का निधन 05 सितंबर 1997 को हो गया. हालांकि इसके बाद भी वह अपने किए गए कार्यों से लोगों को मानवता की राह दिखाती रहीं हैं. मदर टेरेसा को उनकी मृत्यु के 19 साल बाद 04 सितंबर 2016 को कलकत्ता की संत टेरेसा के रूप में संत घोषित किया गया.
मदर टेरेसा के अनमोल वचन
मदर टेरेसा को उनके अच्छे काम के साथ-साथ अनमोल वचनों के लिए जाना जाता हैं. वे लगभग 68 साल तक कोलकाता शहर में रहीं और गरीब, बीमार व लाचार लोगों की सेवा में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया.
मदर टेरेसा के अनमोल वचन: एक नजर में
भगवान यह अपेक्षा नहीं करते कि हम सफल हों, वे तो केवल इतना चाहते हैं कि हम प्रयास करें.
हम कभी नहीं जान पाएंगे कि एक छोटी-सी मुस्कान कितना भला कर सकती है और कितनों को खुशी दे सकती है.
सबसे बड़ी बीमारी कुष्ठ रोग या तपेदिक नहीं है , बल्कि अवांछित होना ही सबसे बड़ी बीमारी है.
कल तो चला गया, आने वाला कल अभी आया नहीं, हमारे पास सिर्फ आज है, आइए शुरुआत करें.
यदि हमारे बीच कोई शांति नहीं है, तो वह इसलिए क्योंकि हम भूल गए हैं कि हम एक दूसरे से संबंधित है.
जिस व्यक्ति का कोई प्यार करने वाला नहीं है, कोई ध्यान रखने वाला नहीं है और जिसको सब भूल चुके हो मेरे विचार से वो व्यक्ति उन लोगो से भी ज्यादा गरीब है जिनके पास खाने के लिए भी कुछ नहीं है.
आपका काम कोई और भी कर सकता है और किसी दूसरे का काम आप भी कर सकते हो. इसलिए दूसरे के इंतजार में अपना समय कभी बर्बाद न करें.
केवल धन देने भर से संतुष्ट न हों, धन पर्याप्त नहीं है, वह पाया जा सकता है लेकिन उन्हें आपके प्रेम की आवश्यकता है, तो जहां भी आप जाए अपना प्रेम सब में बांटे.
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