नासा के वैज्ञानिकों द्वारा आपातकाल में ड्रोन की सुरक्षित लैंडिंग के लिए एक तकनीक का विकास किया जा रहा है. इस नयी तकनीक के बारे में नासा द्वारा 25 मई 2017 को घोषणा की गयी.
आठ सफल उड़ान परीक्षणों के बाद वैज्ञानिकों ने ड्रोन को सफलतापूर्वक गड्ढों, उबड़-खाबड़ स्थानों तथा लोगों की कारों के ऊपर उतरने से बचाया.
तकनीक के मुख्य बिंदु
• इस क्रैश लैंडिंग सॉफ्टवेयर का विकास पैट्रिशिया लैब द्वारा किया गया. यह अनुसंधान केंद्र नासा के ही अनुसंधान परिसर में स्थित है.
• इस सॉफ्टवेयर में बैटरी तथा मोटर लगाई गयी है जिससे ड्रोन की स्थिति का पता रह सके.
• जैसे ही ड्रोन में कुछ अव्यवस्थित होता है यह प्रणाली तुरंत सूचना भेज देती है तथा ड्रोन को क्रैश-लैंडिंग मोड पर ले आती है.
• जब क्रैश होता हुआ ड्रोन नीचे उतरता है तो प्रणाली के डाटाबेस में पहले से डाली गयी सूचना के आधार पर यह सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करता है.
• इस सॉफ्टवेयर में ऐसी तकनीक लगाई गयी है जिससे यह ड्रोन की पहचान करके उसे जमीन पर उतरते समय किसी वस्तु से टकराने से बचाता है.
टिप्पणी
आजकल लगभग सभी प्रकार के बिज़नस में ड्रोन का उपयोग होता है. इसे छतों के ऊपर तथा गलियों में सभी जानकारियां एकत्रित करने के लिए प्रयोग किया जाता है. चूंकि इसमें कोई मानव नहीं होता इसलिए इसमें उड़ान के दौरान तकनीकी कमी आने पर कहीं भी गिरने का खतरा रहता है.
इसके अतिरिक्त आकाश में बहुत सारे ड्रोन मौजूद होने के कारण उनके आपस में टकराने का खतरा भी पैदा हो गया है. इस खतरे से निपटने के लिए भी ड्रोन को तकनीकी सहायता से इस प्रकार के नुकसान से बचाया जा सकेगा. इस स्थिति में तकनीक की सहायता से ड्रोन को क्रैश होने से बचाया जा सकेगा तथा सुरक्षित जगह पर उतारा जा सकेगा.
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