राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने 19 मई 2017 को यमुना के डूबक्षेत्र कहे जाने वाले क्षेत्र की सफाई को लेकर आदेश जारी किया. एनजीटी ने खुले में शौच करने और कचरा फेंकने पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की.
एनजीटी के आदेशनुसार उल्लंघन करने वालों से पांच हजार रुपये का पर्यावरण मुआवजा वसूला जायेगा.
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की अध्यक्षता वाली एक समिति भी गठित की. यह समिति नदी की सफाई से जुड़े काम देखेगी. यह समिति निश्चित समय अवधि के बाद एनजीटी को अपनी रिपोर्ट भी सौपेगी.
एनजीटी द्वारा दिल्ली सरकार और नगम निगमों को निर्देश दिया गया कि वे नदी का प्रदूषण बढ़ाने वाले आवासीय क्षेत्रों में चल रहे उद्योगों को तुरंत बंद करें एवं उनपर उचित कार्रवाई करें.
एनजीटी के अनुसार यमुना तक पहुंचने वाले प्रदूषण का लगभग 67 प्रतिशत ट्रीटमेंट दिल्ली गेट और नजफगढ़ स्थित दो दूषित जल शोधन संयंत्रों द्वारा किया जाएगा. इस परियोजना को ‘मैली से निर्मल यमुना पुनरूद्धार परियोजना 2017’ नाम दिया गया है.
गौरतलब है कि इससे पहले एनजीटी ने 01 मई 2017 को दिल्ली गेट और ओखला स्थित दूषित जल शोधन संयंत्रों (एसटीपी) की जांच का आदेश दिया था. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि यमुना पहुंचने से पहले दूषित जल साफ हो जाए. पैनल ने इन संयंत्रों के कामकाज के बारे में रिपोर्ट भी मांगी थी.
प्राधिकरण के सम्मुख यह बताया गया कि दूषित जल को साफ करने के लिए कुल 14 एसटीपी परियोजनाएं बनाई जानी हैं. इनमें से सात परियोजनाओं को दिल्ली जल बोर्ड अपने फण्ड से निर्मित करेगा.
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