राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने भारत स्थित न्यूट्रीनो वेधशाला को दी जाने वाली पर्यावरण संबंधी मंज़ूरी का सशर्त समर्थन किया है. कुछ समय पूर्व पर्यावरण और वन मंत्रालय की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने इस परियोजना को मंज़ूरी दी थी लेकिन विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति द्वारा दी गई मंज़ूरी को चुनौती दी गई थी.
चुनौती में कहा गया है कि इस परियोजना का आकलन तमिलनाडु के राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (SEIAA) द्वारा किया जाना चाहिये था जबकि इसका आकलन पर्यावरण और वन मंत्रालय की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति द्वारा किया गया है.
न्यूट्रिनो वेधशाला (आईएनओ) क्या है?
• भारत में स्थित न्यूट्रिनो वेधशाला (आईएनओ) एक बड़ी विज्ञान परियोजना है. इसका उद्देश्य न्यूट्रिनो नामक कणों का अध्ययन करना है.
• न्यूट्रिनो वह मूल कण होते हैं जिनका सूर्य, तारों एवं वायुमंडल में प्राकृतिक रुप से निर्माण होता है.
• न्यूट्रिनो के बारे में पहले माना गया कि ये द्रव्यमान रहित कण हैं किंतु हाल ही में न्यूट्रिनो दोलन परिघटना के निरीक्षण द्वारा किए गए प्रयोगों से यह सिद्ध नहीं होता है.
• अशून्य न्यूट्रिनो द्रव्यमानों के अस्तित्व के विभिन्न क्षेत्रों में गहन अर्थ हैं जो कि कण भौतिकी के प्रति मूलभूत रुचि होने के अतिरिक्त नाभिकीय भौतिकी, भूभौतिकी, खगोलभौतिकी व कॉस्मोलॉजी की तरह अलग-अलग हैं.
• आईएनओ परियोजना में अन्य न्यूट्रिनो प्रयोग जैसे न्यूट्रिनो-हीन दोहरे बीटा क्षय (एनडीबीडी) भी शामिल होंगे. एनडीबीडी प्रयोगों से न्यूट्रिनो की प्रकृति (मैजारोना या डिरैक) का पता चलेगा. इस प्रयोग को नियंत्रण कक्ष केवर्न में स्थापित किया जाएगा.
पहुंच एवं जागरुकता
समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व के भाग के रुप में आईएनओ टीम नियमित रुप से जागरुकता बैठकें एवं पहुंच कार्यक्रमों का आयोजन करती है. स्कूलों एवं कॉलेजों के छात्रों को टीआईएफआर की प्रयोगशालाओं में आमंत्रित किया जाता है व उन्हें उच्च ऊर्जा कणों के संसूचन में संकल्पनाओं से परिचित कराया जाता है. आईएन स्थान के निकट निवास करने वाले व्यक्तियों के लिए पहुंच कार्यक्रमों को चलाया जाता है जिसमें जिला एवं गांव के प्रशासनिक निकायों की सहायता ली जाती है.
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