4 जुलाई 2016 को केंद्रीय इस्पात एवं खान मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने राष्ट्रीय खदान अन्वेषण नीति (एनएमईपी) की घोषणा की. इसकी घोषणा गैर ईंधन एवं गैर कोयला खनिज संसाधनों के व्यापक अन्वेषण को अपनाने के लिए की गई थी.
नीति की घोषणा छत्तीसगढ़ के रायपुर में राष्ट्रीय खदान एवं खनिज सम्मेलन में की गई.
विशेषताएं
• नीति का उद्देश्य सर्वश्रेष्ठ जानकारी एवं अनुभव, आधुनिक तकनीक, प्रशिक्षित श्रमिक और वित्तीय संसाधनों को एक सहयोगी मंच पर एक साथ लाना है.
• नीति का उद्देश्य देश में खनिज अन्वेषण की बड़े पैमाने वाली प्रक्रिया को निर्धारित करना है जो अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाली होगी.
• अवैध खनन के निरीक्षण के लिए अंतरिक तकनीक का प्रयोग कर खनन निगरानी प्रणाली विकसित की जाएगी.
• यह अन्वेषण में निजी कंपनियों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने की बात करता है.
• यह नीति ई–निलामी के बाद खनिज ब्लॉक के लिए सफल होने वाले निविदाकर्ता से राजस्व में निर्धारित हिस्सा लेने के अधिकार के साथ निजी एजेंसियों को अन्वेषण में शामिल होने की पुष्टि करती है. ऐसे खनिज ब्लॉक की खोज भी निजी अन्वेषक ही करेंगे. राजस्व राज्य सरकार को दिए जाने वाले रॉयल्टी/ प्रीमियम के माध्यम से साझा किया जाएगा.
• राजस्व का बंटवारा या तो एक मुश्त धनराशि या वार्षिक धनराशि के तौर पर होगी, इसका भुगतान हस्तांतरणीय अधिकारों के साथ खनन पट्टे अवधि में किया जाएगा.
• सरकार भी अलग–अलग प्रकार के खनिजों के लिए अन्वेषण का कार्य मानक लागत पर करेगी ताकि अन्वेषण एजेंसियों को अगर वे अपने संबंधित क्षेत्र में किसी भी प्रकार के खनिज भंडार का पता नहीं लगा पाती हैं तो मुआवजा दिया जा सके.
• यह अन्वेषण एजेंसियों के लिए अपने जोखिम को कम करने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन जैसा होगा.
प्रतिस्पर्धी बोली की प्रक्रिया के माध्यम से निजी अन्वेषक के चयन की प्रक्रिया में शामिल है–
• अधिग्रहण, प्रसंस्करण और पूर्व प्रतियोगी आधारभूत भू–विज्ञान आंकड़े सफल खोज प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इस संदर्भ में एनएमईपी निम्नलिखित प्रस्ताव देता है–
क) पूर्व प्रतियोगी आधारभूत भू–विज्ञान आंकड़ों को जनता की भलाई के लिए बनाया जाएगा और इसे निःशुल्क मुक्त प्रसार के लिए पूर्णतः उपलब्ध कराया जाएगा.
ख) एक राष्ट्रीय एयरो–भूभौतिकीय मानचित्रण कार्यक्रम की शुरुआत की जाएगी ताकि पूरे देश का मानचित्र बनाया जा सके. यह गहराई में छुपे खनिज भंडारों का पता लगाने में मदद करेगा.
• राष्ट्रीय भूविज्ञान डेटा रिपॉजिट्री (एनजीडीआर) की स्थापना की जाएगी. जीएसआई विभिन्न केंद्र एवं राज्य सरकारी एजेंसियों द्वारा दी जाने वाली सभी मूल एवं खनिज अन्वेषण जानकारी और साथ ही खनिज रियायत धारकों की तुलना करेगा और भू-स्थानिक डेटाबेस पर इनकी जानकारी रखेगा.
• सरकार देश में खनिज अन्वेषण चुनौतियों का सामना करने के लिए वैज्ञानिक एवं अनुसंधान निकायों, विश्वविद्यालयों एवं वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकीय अनुसंधान उद्योग के साथ समन्वय और सहयोग करेगी. इसके लिए, गैर लाभकारी स्वायत्त निकाय/ कंपनी – राष्ट्रीय खनिज लक्ष्य निर्धारण केंद्र (एनसीएमटी) की स्थापना की जाएगी.
• बोली लगाए जाने की संभावनाओं के सतत प्रवाह के निर्माण में राज्य सरकारें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी. इन्हें खनिज अन्वेषण करना होगा और बोली लगाने के G3 या G2 स्तर को पूरा करना होगा. राज्यों को अन्वेषण क्षमताओं, तकनीकी विशेषज्ञता एवं संरचनात्मक सुविधा को बनाने की जरुरत होगी. केंद्र सरकार राज्यों को क्षमता निर्माण के लिए राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (एनएमईटी) के माध्यम से समर्थन प्रदान करेगी.
• ऑस्ट्रेलिया की UNCOVER परियोजना की तर्ज पर देश में छुपे हुए खनिज भंडारों का पता लगाने के लिए विशेष पहल किया जाएगा. यह प्रमुख परियोजना राष्ट्रीय भूभौतिकी अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआ) और प्रस्तावित राष्ट्रीय खनिज लक्ष्य केंद्र (एनसीएमटी) और जीयोसाइंस ऑस्ट्रेलिया के साथ मिल कर किया जाएगा.
• एसबीआ कैपिटल मार्केट्स लिमि. (SBICAP) को खनिज मंत्रालय ने खनिज अन्वेषण के लिए अनुबंधात्मक रूपरेखा की विस्तृत तौरतरीकों को तैयार करने के लिए सलाहकार के तौर पर चुना है. मंत्रालय राज्य सरकारों को निजी एजेंसियों को शामिल करने के लिए सहयोग भी प्रदान करेगा.
Now get latest Current Affairs on mobile, Download # 1 Current Affairs App
Comments
All Comments (0)
Join the conversation