राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण यातायात पुलिसकर्मियों की सेहत पर मंडरा रहे खतरे को लेकर केन्द्रीय गृह सचिव और सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी किया है.
आयोग ने देशभर में यातायात पुलिसकर्मियों के स्वास्थ्य के अधिकार के मुद्दे को उठाने वाली एक शिकायत पर संज्ञान लिया.
आयोग ने कहा कि कथित तौर पर अधिक वायु प्रदूषण इनके जीवनकाल पर प्रभाव डाल रहा है क्योंकि वाहन प्रदूषण उनके श्वसन और प्रजनन प्रणाली को प्रभावित करता है.
एनएचआरसी ने केन्द्रीय गृह सचिव और सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी किए और '8 सप्ताह के भीतर, सकारात्मकता के साथ' उनसे विस्तृत जवाब मांगा गया.
आयोग ने कहा की यदि, निर्धारित समय के भीतर जवाब प्राप्त नहीं होता है तो आयोग मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 13 के तहत कार्रवाई के लिए मजबूर होगा.
अधिकांश राज्य सरकारें यातायात पुलिसकर्मियों को अतिरिक्त भत्ते या स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा रही है.
पृष्ठभूमि:
दिल्ली में वायु प्रदूषण इस साल अपने सबसे उंचे स्तर पर था. पिछले तीन महीनों से स्मॉग और धुंध ने हवा की गुणवत्ता में काफी बदलाव किये हैं. इससे वातावरण में दृश्यता की कमी और पीएम (पर्टिकुलर मैटर) की मात्रा काफी बढ़ गई है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग:
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एक स्वायत्त विधिक संस्था है. केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना अक्टूबर 1993 में की गई थी. आयोग में कुल आठ सदस्य होते हैं- एक अध्यक्ष, एक वर्तमान अथवा पूर्व सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश, एक वर्तमान अथवा भूतपूर्व उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश, मानवाधिकार के क्षेत्र में जानकारी रखने वाले कोई दो सदस्य तथा राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचितजाति आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग एवं राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष.
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