सुप्रीम कोर्ट में 13 जनवरी 2020 को ‘सबरीमाला मंदिर’ मामले में दाखिल की गई सभी समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई होगी. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों वाली संवैधानिक बेंच सुनवाई करेगी. सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति संबंधी फैसले को चुनौती देने वाली समीक्षा याचिका दायर की गई हैं.
सबरीमाला मंदिर पर जारी विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा याचिकाओं पर दिसंबर 2019 में सात न्यायाधीशों की एक बड़ी बेंच गठित की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व के फैसले में सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश का अधिकार दे दिया था. हालांकि इस फैसले की समीक्षा हेतु 60 याचिकाएं दायर की गईं थीं.
सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2019 में मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर अपने फ़ैसले पर पुनर्विचार याचिका की सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. केरल सरकार ने पुनर्विचार याचिका का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा कि महिलाओं को रोकना हिन्दू धर्म में अनिवार्य नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद सबरीमाला मंदिर में केवल दो महिलाएं किसी तरह पहुंच पाई थीं. हालांकि केरल में इन दो महिलाओं के प्रवेश से व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था. सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर 2018 को 4:1 के बहुमत से मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को मंजूरी दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इन पर 06 फरवरी 2019 को फैसला सुरक्षित रख लिया था.
सबरीमाला कार्यसमिति का आरोप सबरीमाला कार्यसमिति ने आरोप लगाया था कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी आयु की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देकर उनके रीति-रिवाज एवं परंपराओं को नष्ट किया है. लोगों की मान्यता है कि 12वीं सदी के भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी हैं. इस वजह से मंदिर में 10 साल से 50 साल की महिलाओं का प्रवेश वर्जित किया गया था. |
यह भी पढ़ें:जानें क्या है भारत और नेपाल के बीच कालापानी विवाद?
क्यों सबरीमाला मंदिर में महिलाओं पर प्रतिबन्ध?
हिंदू मान्यता में महिलाओं को पीरियड्स के दौरान अपवित्र माना जाता है. जिसके अक्रन मंदिर में उनके प्रवेश पर रोक थी. साल 2006 में कई महिला वकीलों ने लैंगिक समानता को आधार बनाकर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका डाली थी. इस संबंध में उसके बाद कई और याचिकाएं डाली गईं.
केरल हिंदू प्लेसेस ऑफ पब्लिक वर्शिप रूल्स, 1965 के नियम 3(बी) को पांच महिला वकीलों के समूह ने चुनौती दी थी. इस नियम में महिलाओं को पीरियड्स वाले आयुवर्ग के दौरान मंदिर में प्रवेश से रोके जाने का प्रावधान है. ऐसे में महिला वकीलों ने केरल हाईकोर्ट के बाद न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
यह भी पढ़ें:Supreme Court ने नागरिकता कानून पर रोक लगाने से किया इनकार, जानें क्या कहा कोर्ट ने
यह भी पढ़ें:सुप्रीम कोर्ट ने ‘निर्भया’ केस में चारों अभियुक्तों की मौत की सजा बरकरार रखी
Comments
All Comments (0)
Join the conversation