नीति आयोग ने 28 मार्च 2018 को देशभर के 101 महत्वकांक्षी जिलों के लिए रैंकिंग जारी की. यह रैंकिंग 49 मानकों के आधार पर जारी की गई. यह मानक स्वास्थ्य व पोषण, शिक्षा, कृषि और जल संसाधन समेत कई क्षेत्रों से संबंधित हैं. इनमें वित्तीय समावेशन, कौशल विकास और बुनियादी अवसंरचना भी शामिल हैं.
सरकार ने पिछड़े जिलों की कायापलट करने के लिए 101 जिलों की पहचान की है. इन जिलों को पिछड़ा जिला न कहकर सरकार ने इन्हें 'एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट' नाम दिया है.
बेसलाइन रैंकिंग के मुख्य बिंदु
• नीति आयोग के अनुसार पिछड़े जिलों में सबसे पिछड़ा जिला हरियाणा का मेवात है जिसका नीति आयोग की इस रैंकिंग में मात्र 26 प्रतिशत स्कोर है.
• इसका अर्थ यह हुआ कि शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं के मामले में इस जिले की स्थिति बहुत खराब है.
• नीति आयोग की सूची में उत्तर प्रदेश के आठ जिले शामिल हैं लेकिन श्रावस्ती, बहराइच, सिद्धार्थनगर और बलरामपुर ऐसे जिले हैं जो विकास की दृष्टि से देश के सर्वाधिक पिछड़े 10 जिलों में शामिल हैं.
• देश के 10 सबसे अधिक पिछड़े जिले हैं मेवात, आसिफाबाद, सिंगरौली, किफिरे, श्रावस्ती, बहराइच, सिद्धार्थ नगर, बलरामपुर, नामसाई और सुकमा.
• 49 विकास संकेतकों पर इन 101 जिलों की रैंकिंग जारी की गई है. उदारहण के लिए किसी जिले में कितने प्रतिशत बच्चे कुपोषण से पीड़ित हैं, बच्चों का टीकाकरण हुआ है या नहीं, बच्चों का गणित और भाषा ज्ञान कितना है आदि.
• एक अप्रैल से यह रैंकिंग रियल टाइम ऑनलाइन देखी जा सकेगी और मई से यह पता चल सकेगा कि किस जिले में कितनी तरक्की हुई.
• आयोग की इस सूची में अभी पश्चिम बंगाल के चार जिले, उड़ीसा के 10 जिले और केरल का एक जिला शामिल नहीं हैं.
कार्ययोजना
इन जिलों में केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए प्रभारी संयुक्त सचिव और अतिरिक्त सचिव स्तर के अधिकारी भी नियुक्त किए हैं. इन जिलों में प्रगति का जायजा लेने के लिए ही नीति आयोग ने यह बेस-लाइन रैंकिंग जारी की है. एक अप्रैल से यह रैंकिंग रियल टाइम ऑनलाइन देखी जा सकेगी और मई से यह पता चल सकेगा कि किस जिले में कितनी तरक्की हुई.
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