एनपीसीसी को मिनीरत्न कंपनी का दर्जा प्रदान किया गया

एनपीसीसी, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में अनुसूची 'बी' का एक केन्द्रीय लोक-उद्यम है जिसे हाल ही में आईएसओ 9001:2015 प्रमाण पत्र  प्राप्त हुआ है.

Nov 28, 2018, 16:08 IST
NPCC is now a Miniratna company in hindi
NPCC is now a Miniratna company in hindi

नेशनल प्रोजैक्ट्स कंसट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड (एनपीसीसी) को भारत सरकार द्वारा मिनीरत्न श्रेणी-1 का सम्मानित दर्जा प्रदान किया गया है. एनपीसीसी को मिनीरत्न का दर्जा हासिल होने से निदेशक मंडल की शक्तियों में वृद्धि होगी जिससे कंपनी तेज़ी से निर्णय ले सकेगी.

एनपीसीसी, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में अनुसूची 'बी' का एक केन्द्रीय लोक-उद्यम है जिसे हाल ही में आईएसओ 9001:2015 प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ है. पिछले छह वर्षो से इसका नेटवर्थ सकारात्मक है और इसकी महत्वाकांक्षी व्यापार-योजना के तहत इसे प्राप्त कार्य-आदेशों की स्थिति बढकर 11833 करोड़ रुपये हो गई है.

एनपीसीसी के बारे में

•    नेशनल प्रोजैक्ट्स कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड (एनपीसीसी) की स्थापना वर्ष 1957 में की गई.

•    राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं के निर्माण के लिए आवश्यक जनशक्ति एवं तकनीक उपलब्ध कराना और निजी क्षेत्र के लिए मूल्य नियंत्रक के रूप में अपनी भूमिका का निर्वहन करना इसका उद्देश्य रहा है.

•    विगत 55 वर्षो के दौरान यह निगम राष्ट्रीय महत्व की 130 से अधिक परियोजनाओं को संकल्पना से संचालन स्तर तक पूर्ण करने में सफलतापूर्वक जुड़ी रही है.

•    इनमें से कुछ देश के दूरदराज़ के जोखिम भरे स्थानों पर स्थित हैं.

•    कंपनी ने न केवल अपने ही देश में सामाजिक-आर्थिक विकास से सम्बन्धित परियोजनाओं को पूर्ण किया है अपितु विदेशों में भी कई परियोजनाओं को सफलतापूर्वक सम्पन्न किया है.

महारत्न कंपनी का अर्थ एवं पात्रता शर्तें

सरकार द्वारा इस टाइटल की स्थापना 2009 में की गयी थी जिसका उद्देश्य बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमों (C.P.S.E) को अपने कारोबार का विस्तार करने तथा विश्व की बड़ी कंपनी के रूप में उभरने में समर्थ बनाना है.

•    कंपनी को ‘नवरत्न' का दर्ज़ा प्राप्त होना चाहिए.

•    सेबी के नियामकों के तहत न्यूनतम निर्धारित सार्वजनिक हिस्सेदारी के साथ भारतीय शेयर बाजार में सूचीबद्ध होना चाहिए.

•    पिछले तीन सालों के दौरान औसत सालाना शुद्ध संपत्ति 15,000 रुपये करोड़ से ज्यादा होनी चाहिए.

•    पिछले तीन सालो के दौरान औसत सालाना कारोबार 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होना चाहिए.

•    वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण उपस्थिति/ अंतर्राष्ट्रीय ऑपरेशन्स होने चाहिए अर्थात् देश के आलावा कंपनी का कारोबार विदेश में भी होना चाहिए.

भारत की 8 महारत्न कम्पनियां हैं: भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल), कोल इंडिया लिमिटेड, गैस अथोरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (गेल), इंडियन ऑयल कारपोरेशन लिमिटेड, एनटीपीसी लिमिटेड, तेल एवं प्राकृतिक गैस कारपोरेशन लिमिटेड, भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड तथा भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड.

नवरत्न कंपनी का अर्थ एवं पात्रता शर्तें

नवरत्न को वर्ष 1997 में सरकार द्वारा आरंभ किया गया था. इसमें उन सार्वजनिक कंपनियों को शामिल किया गया जिनमे वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता है. नवरत्न कंपनी का दर्जा देकर इन्हें अधिक स्वायत्तता प्रदान की गयी ताकि बाजार में देश की कम्पनियों को वैश्विक दर्जा प्राप्त हो सके. इस समय "नवरत्न" का दर्जा प्राप्त सार्वजनिक उपक्रमों की संख्या 23 हो गयी है.

•    किसी कंपनी को नवरत्न का दर्जा प्राप्त करने के लिए उसे पहले मिनीरत्न का दर्जा प्राप्त होना चाहिए.

•    इसके निदेशक मंडल के चार स्वतंत्र निदेशक होना आवश्यक है.

•    पिछले तीन वर्षों के दौरान निम्नलिखित 6 दक्षता मानकों पर अपने प्रदर्शन के आधार पर कंपनी को कुल 100 अंकों में से 60 या उससे अधिक का कंपोजिट स्कोर प्राप्त हुआ हो- शुद्ध मूल्य पर शुद्ध लाभ, कुल उत्पादन/सेवा लागत पर मानव श्रम लागत, नियोजित पूंजी पर सकल मार्जिन, टर्नओवर पर सकल लाभ, प्रति शेयर आय, शुद्ध मूल्य पर शुद्ध लाभ पर आधारित अंतर-क्षेत्रीय तुलना.

भारत की 16 नवरत्न कम्पनियां हैं: भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड, भारतीय कंटेनर निगम लिमिटेड, इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, भारतीय पेट्रोलियम निगम लिमिटेड, महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड, राष्ट्रीय अल्युमीनियम कं. लिमिटेड, राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम लिमिटेड, एनएमडीसी लिमिटेड, नेवेली लिग्नाइट कॉर्पो. लिमिटेड, ऑयल इंडिया लिमिटेड, पावर फाइनेंस कॉर्पो. लिमिटेड, पावर ग्रिड कॉर्पो. ऑफ इंडिया लिमिटेड, राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड, ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड तथा भारतीय नौवहन निगम लिमिटेड.

मिनी रत्न कंपनी का अर्थ एवं पात्रता शर्तें

इसे दो वर्गों में बांटा गया है. मिनीरत्न कंपनी वर्ग-1 बनने के लिए कंपनी के पास पिछले तीन वर्षों से निरंतरता लाभ कमाया होना चाहिये तथा तीन साल में एक बार 30 करोड़ का शुद्ध लाभ अर्जित किया जाना चाहिए. मिनीरत्न वर्ग- 2 के लिए कंपनी द्वारा पिछले तीन साल से लगातार लाभ कमाया हो और उसकी नेट वर्थ सकारात्मक होनी चाहिए. दोनों वर्गों में कुल 75 कम्पनियां शामिल हैं.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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