ओडिशा सरकार द्वारा खरीफ विपणन सत्र 2018-19 हेतु खाद्य और खरीद नीति के मानदंडों में बदलाव की घोषणा की गई. इस घोषणा के तहत खरीद के दायरे में और छोटे एवं सीमांत किसानों को सुविधाजनक बनाने का फैसला लिया गया है.
ओडिशा के खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण विभाग के अनुसार, धान के विपणन योग्य अधिशेष की गणना के लिये किसान के परिवार में प्रति सदस्य धान के तीन क्विंटल की दर से व्यक्तिगत खपत की आवश्यकता में कटौती करने की पिछली प्रथा को 2018-19 से छूट प्रदान की गई है.
घोषणा के मुख्य बिंदु
• कैबिनेट द्वारा लिये गए निर्णय के अनुसार, किसानों से 55 लाख टन धान खरीदने का एक प्रायोगिक लक्ष्य निर्धारित किया गया है जो चावल के मामले में लगभग 37 लाख टन होगा.
• धन का भुगतान खरीद के तीन दिनों के भीतर सीधे किसानों के बैंक खातों में किया जाएगा.
• खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण मंत्री को आवश्यकता अनुसार लक्ष्य को संशोधित करने के लिये अधिकृत किया गया है.
• आगामी कृषि सत्र के दौरान धान और चावल की खरीद के सभी पहलुओं को नियंत्रित करने के उद्देश्य से वर्ष 2019 के लिये खाद्य और खरीद नीति को मंज़ूरी देने हेतु कैबिनेट ने यह फैसला किया कि धान की खरीफ फसल की खरीद नवंबर 2018 और अप्रैल 2019 के बीच की जाएगी.
• धान की रबी फसल की खरीद मई से जून 2019 तक की जाएगी.
• किसानों को केंद्र सरकार द्वारा तय धान की आम किस्म के लिये 1,750 रुपए प्रति क्विंटल और ग्रेड-ए किस्म के लिये 1,770 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का भुगतान किया जाएगा.
न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या होता है?
• किसी कृषि उपज (जैसे गेहूँ, धान आदि) का न्यूनतम समर्थन मूल्य वह मूल्य है जिससे कम मूल्य देकर किसान से सीधे वह उपज नहीं खरीदी जा सकती.
• न्यूनतम समर्थन मूल्य, भारत सरकार तय करती है.
• उदाहरण के लिए, यदि धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2000 रूपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है तो कोई व्यापारी किसी किसान से 2100 रूपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीद सकता है किन्तु 2000 रुपये से कम की दर से नहीं खरीद सकता.
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