पाकिस्तान चीन की मदद से वर्ष 2022 में पहली बार किसी पाकिस्तानी को अंतरिक्ष में भेजेगा. इसकी घोषणा पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने 25 अक्टूबर 2018 को की. उन्होंने यह घोषणा प्रधानमंत्री इमरान खान की पहली चीन यात्रा से पहले की है.
पाकिस्तान के पहले अंतरिक्ष मिशन की योजना 2022 के लिए बनाई गई है और प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता में संघीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस योजना को मंजूरी दे दी गई.
यह समझौता पाकिस्तान स्पेस एंड अपर एटमॉस्फियर रिसर्च कमीशन (सुपारको) और चीन की कंपनी के बीच हुआ है. पाकिस्तान और चीन दोनों के बीच रक्षा संबंध पहले से ही काफी अच्छे है.
रक्षा संबंध:
पाकिस्तान और चीन दोनों के बीच रक्षा संबंध पहले से ही काफी अच्छे है. साथ ही पाकिस्तान, चीनी मिलिट्री उपकरणों का सबसे बड़ा खरीददार भी है.
चीनी प्रक्षेपण यान की मदद से दो उपग्रह:
पाकिस्तान ने चीनी प्रक्षेपण यान की मदद से दो उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में भेजा था. दोनों उपग्रहों का निर्माण पाकिस्तान में किया गया था.
पाकिस्तान ने चीनी लॉन्ग मार्च (एलएम-2सी) रॉकेट को जियूक्यूआन सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से लॉन्च किया था. यह सेंटर चीन में गोबी के रेगिस्तान में स्थित है. इसके अलावा एक और सैटेलाइट जो कि रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट पीआरएसएस1 था उसे भी लॉन्च किया गया था.
दूसरा टेस्ट सैटेलाइट:
चीन की मदद से लॉन्च हुए पाक के दूसरा टेस्ट पाक-टेस-1ए था. इस सैटेलाइट को सुपारको की ओर से डेवलप किया गया था. इस सैटेलाइट की वजह से पाकिस्तान के सैटेलाइट तैयार करने की क्षमताओं में इजाफ हुआ था. इसके बाद पाकिस्तान को मौसम, पर्यावरण और कृषि आधारित जानकारियों के लिए दूसरे कमर्शियल सैटेलाइट्स पर निर्भर नहीं रहना पड़ा. इन सैटेलाइट को चीन भेजा गया था क्योंकि पाकिस्तान के पास किसी भी तरह का कोई सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल नहीं है.
अंतरिक्ष यात्री भारत की ओर से:
भारत ने वर्ष 2022 में ही अपने अंतरिक्ष यान से पहले भारतीय को अंतरिक्ष में भेजने की योजना बनाई है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस 2018 के मौके पर इस बात की घोषणा की थी वर्ष 2022 में भारत की ओर से मानवयान को भेजा जाएगा. भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश होगा जो इंसान को अंतरिक्ष पर भेजेगा.
पहला मानव अंतरिक्ष मिशन:
चीन ने वर्ष 2003 में पहला मानव अंतरिक्ष मिशन लॉन्च किया था. इस लॉन्च के साथ ही वह दुनिया का तीसरा ऐसा देश बन गया था जिसने मानवयुक्त अंतरिक्ष यात्रा को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था. चीन से पहले रूस और अमेरिका ऐसा कर चुके हैं.
भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)
• भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है जिसका मुख्यालय बेंगलुरू कर्नाटक में है. संस्थान में लगभग सत्रह हजार कर्मचारी एवं वैज्ञानिक कार्यरत हैं.
• वर्ष 1962 में जब भारत सरकार द्वारा भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (इन्कोंस्पार) का गठन हुआ तब भारत ने अंतरिक्ष में जाने का निर्णय लिया.
• वर्ष 1959 में इसरो की स्थापना की गई थी तथा प्रोफेसर विक्रम साराभाई को इसका चेयरमैन बनाया गया.
• आज भारत न सिर्फ अपने अंतरिक्ष संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम है बल्कि दुनिया के बहुत से देशों को अपनी अंतरिक्ष क्षमता से व्यापारिक और अन्य स्तरों पर सहयोग कर रहा है.
• इसरो को शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए साल 2014 के इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
• मंगलयान के सफल प्रक्षेपण के लगभग एक वर्ष बाद इसरो ने 29 सितंबर 2015 को एस्ट्रोसैट के रूप में भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला स्थापित की.
• वर्ष 2017 में इसरो ने एक साथ 104 उपग्रहों का सफल परीक्षण करके विश्व रिकॉर्ड भी बनाया था.
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