केंद्र सरकार ने 16 जून 2021 को नीतिगत सुधार की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए लगभग 200 साल पुराने आयुध निर्माण बोर्ड (ओएफबी) के पुनर्गठन के लंबित प्रस्ताव को मंजूरी दी. इसके तहत बोर्ड को सात अलग-अलग कंपनियों में बदला जाएगा ताकि काम में जवाबदेही बढ़ सके. आयुध निर्माण बोर्ड इस समय हथियार और गोला-बारूद बनाने के 41 कारखाने चलाता है.
आयुध निर्माण बोर्ड को रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों की तर्ज पर निगमित करने का निर्णय केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक बैठक (Cabinet Meeting) में लिया गया. लगभग दो दशक बाद व्यावसायिकता लाने और इसकी उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि करने के लिए सुधार के कदम उठाए गए हैं. रक्षा मंत्री के अनुसार, सुधार प्रक्रिया को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता' के दृष्टिकोण के तहत लागू किया जा रहा है.
डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में बढ़ावा
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे ऐतिहासिक निर्णय बताते हुए कहा कि संगठन के लगभग 70,000 कर्मचारियों की सेवा शर्तों में कोई बदलाव नहीं होगा. यह निर्णय भारत के डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने के प्रयासों से प्रेरित है. उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा निर्णय है जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करता है. यह रक्षा उत्पादन के हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा. कर्मचारियों की सेवा शर्तों में कोई बदलाव नहीं होगा.
सात सरकारी स्वामित्ववाली संस्थाओं में विभाजित
सरकारी स्वामित्ववाली ऑर्डिनेन्स फैक्टरियों को आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) नियंत्रित करता है. इन ऑर्डिनेन्स फैक्टरियों को अब सात सरकारी स्वामित्ववाली संस्थाओं में विभाजित किया जायेगा. इसके साथ ही आर्डिनेन्स फैक्टरियों का अस्तित्व भी अब समाप्त हो जायेगा.
इन आर्डिनेन्स फैक्टरियों में गोला-बारूद, विस्फोटक, वाहन, हथियार, उपकरण, सैन्य सुविधा के सामान, पैराशूट, ऑप्टो-इलेक्ट्रॉनिक्स गियर के साथ-साथ सैन्य उत्पादों का उत्पादन किया जायेगा.
मौजूदा कर्मचारियों की पेंशन
कैबिनेट के फैसले के मुताबिक सेवानिवृत्त और मौजूदा कर्मचारियों की पेंशन देनदारी सरकार वहन करती रहेगी. वर्तमान में, ओएफबी रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग के अधीन कार्य करता है.
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