INS Vikrant: भारतीय नौसेना को मिला आईएनएस विक्रांत, जानें क्या है इसकी ताकत?

Sep 2, 2022, 14:59 IST

INS Vikrant: 'आईएनएस विक्रांत' (INS Vikrant) का जलावतरण, आईएनएस विक्रांत के रूप में भारत को पहला स्वदेशी विमान वाहक (आईएसी-1) मिला है.भारत विशेष क्लब में हुआ शामिल, जानें इसके बारे में सब कुछ.

स्वदेशी विमान वाहक (IAC-1)  'आईएनएस विक्रांत'
स्वदेशी विमान वाहक (IAC-1) 'आईएनएस विक्रांत'

INS Vikrant: रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाते हुए भारत ने आज देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक (IAC-1)  'आईएनएस विक्रांत' (INS Vikrant) का जलावतरण किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोचीन शिपयार्ड में 'आईएनएस विक्रांत' को देश की नौसेना को समर्पित किया. यह देश के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण था क्योंकि इसका निर्माण पूर्ण रूप से स्वदेशी रूप से किया गया है.यह भारत के आत्मनिर्भर संकल्प और मेक इन इंडिया मूवमेंट का एक बेहद खास उदाहरण है.

आईएनएस विक्रांत के रूप में भारत को पहला स्वदेशी विमान वाहक (आईएसी-1) मिला है, जो  'ब्लू वाटर नेवी' के रूप देश की रक्षा करेगा. यह भारत की रक्षा क्षेत्र में एक अभूतपूर्व उपलब्धि है जो समुद्र रक्षक के रूप में देश की जलीय सीमा रक्षा को और मजबूत करेगा. साथ ही यह भारतीय नौसेना के इतिहास में निर्मित अब तक सबसे बड़ा युद्धपोत है. इसके साथ ही अब भारत के पास दो विमान वाहक पोत हो गये है. अभी तक भारत के पास रूसी मूल की कीव श्रेणी का INS विक्रमादित्य ही एक मात्र विमान वाहक पोत था.

भारत विशेष क्लब में हुआ शामिल: 

आईएनएस विक्रांत के जलावतरण के साथ ही भारत, अमेरिका, रूस, फ्रांस, यूके और चीन के साथ उन राष्ट्रों के विशेष क्लब में शामिल हो गया है जिनके पास विमानवाहक पोत के डिजाइन और निर्माण की क्षमता है. यह उपलब्धि भारत की रक्षा क्षेत्र में विश्वस्तरीय पहुँच का भी एक परिचायक है. साथ ही रक्षा आत्मनिर्भरता में भारत की इस उपलब्धि ने विश्व पटल पर भारत का मान बढ़ाया है. आईएनएस विक्रांत दुनिया में विमानवाहक श्रेणी में सातवां सबसे बड़ा पोत है.

आईएनएस विक्रांत के बारे में: 

  • आईएनएस विक्रांत भारत का पहला स्वदेश डिज़ाइन और निर्मित विमानवाहक पोत है. इसका नाम पूर्ववर्ती और भारत के पहले विमान वाहक पोत के नाम पर रखा गया है. जो 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अहम भूमिका निभाई था.
  • आईएनएस विक्रांत का डिजाइन भारतीय नौसेना की रक्षा उपक्रम वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है.
  • इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है.
  • आईएनएस विक्रांत अत्याधुनिक स्वचालित विशेषताओं से लैस है और यह भारत के सामुद्रिक इतिहास में अब तक का सबसे विशाल निर्मित पोत है.
  • विक्रांत को लगभग 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है.
  • आईएनएस विक्रांत से उड़ान परीक्षण नवंबर तक शुरू होने वाला है और इसके 2023 के मध्य तक पूरी तरह से चालू होने की उम्मीद है.

कितने समय में तैयार हुआ आईएनएस विक्रांत?

आईएनएस विक्रांत के डिजाइन और निर्माण में लगभग 17 साल लगे. इस विमान वाहक पोत पर कम अप्रैल 2005 में औपचारिक स्टील कटिंग के साथ शुरू हुआ. इसके बाद फरवरी 2009 में इसके तली (Keel) का काम पूरा हुआ. आईएनएस विक्रांत को 12 अगस्त 2013 को लॉन्च किया गया था और उस समय तक, इसकी संरचना का 80% हिस्सा तैयार किया जा चुका था. इसे एर्नाकुलम चैनल में इसके अगले चरण के आउटफिटिंग को पूरा किया गया था. और बाद में 10 जून 2015 को, IAC को अनडॉक कर दिया गया था. अंततः भारत के समुद्री इतिहास में अब तक के सबसे बड़े जहाज आईएनएस विक्रांत को 2 सितंबर 2022 को लांच कर दिया गया है.

आईएनएस विक्रांत की विशेषताएं:

  • आईएनएस विक्रांत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है, इसका फ्लाइट डेक फुटबॉल के दो बड़े मैदानों के बराबर है.
  • 28 समुद्री मील (nautical miles) की अधिकतम डिज़ाइन गति के साथ 7,500 nautical miles या लगभग 14,000 किमी की यात्रा एक बार में कर सकता है.
  • विमानवाहक पोत पूरी तरह से लोड होने पर लगभग 4,3000 टन का भार वहन कर सकता है.
  • इसमें 30 विमानों का एक वायु घटक है, जिसमें मिग-29K लड़ाकू जेट, कामोव-31और MH-60R जैसे हेलीकॉप्टर को डॉक किया जा सकता है.
  • लगभग 18-मंजिल ऊंचे इस जहाज में करीब 2,400 कमरे हैं, जिन्हें 1,600 क्रू के लिए डिज़ाइन किया गया है.
  • आईएनएस विक्रांत पर 16 बेड का अस्पताल भी है, जिसमे मेडिकल कॉम्प्लेक्स में मॉड्यूलर इमरजेंसी ऑपरेशन थिएटर, फिजियोथेरेपी क्लिनिक आदि शामिल है.

सेल (SAIL) की स्पेशल डीएमआर स्टील से बना है INS विक्रांत:

स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) ने आईएनएस विक्रांत के निर्माण में अहम योगदान दिया है. सेल ने डीएमआर ग्रेड स्पेशियलिटी वाला करीब 30000 टन स्टील की आपूर्ति की थी. अपने इस प्रयास से सेल ने 'आत्मनिर्भर भारत' के निर्माण में एक अहम योगदान दिया है.

Bagesh Yadav
Bagesh Yadav

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