प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूसा में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित "नानाजी देशमुख प्लांट फिनोमिक्स केंद्र" का उद्घाटन किया. यह अत्याधुनिक, स्वचालित फिनोमिक्स केन्द्र विश्व के सार्वजनिक निधि प्राप्त संस्थानों में से एक है. यह केंद्र फसल सुधार एवं प्रबंधन के क्षेत्र में जीनों एवं पर्यावरण के बीच परस्परिक क्रिया को समझने में भी मदद करेगा.
राष्ट्रीय कृषि विज्ञान निधि द्वारा दी गई वित्तीय सहायता के साथ 45 करोड़ रूपये की लागत से भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने एक अत्याधुनिक, स्वचालित, अविनाशकारी पादप फिनोमिक्स केन्द्र की स्थापना की है. यह भारत की सबसे बड़ी और विश्व के सार्वजनिक निधि प्राप्त संस्थानों की सर्वोत्तम सुविधाओं में से एक है.
जलवायु परिवर्तन एवं अजैव प्रतिबल जैसे कि सूखा, जलक्रांति, ताप, लवणता, पोषक तत्वों की कमी तथा जैव प्रतिबल, फसल उत्पादकता एवं गुणवत्ता को दुष्प्रभावित करते हैं. इन समस्याओं को दूर करने जननद्रव्य संसाधन-सम्पदा से अनुकूलन एवं उपज गुणों के लिए जीनों की पहचान करना आवश्यक है और जलवायु अनुकूल फसल-किस्में विकसित करने के लिए उनका उपयोग किया जाना चाहिए.
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लक्षण-प्ररूपण की पारम्परिक विधियां प्रायः क्षतिकारक होती हैं और पादप-विकास की विभिन्न अवस्थाओं के दौरान पौधों में होने वाले गतिकीय परिवर्तनों का अभिलक्षणन नहीं कर पाती हैं. लक्षण प्ररूपण वह प्रमुख बाधा है जो जीनोमिक्स की सहायता से फसल सुधार में जननद्रव्य संसाधनों के उपयोग को सीमित करती है.
लक्षणप्ररूप एवं जीनप्ररूप के बीच एक सेतु के रूप में, हाल ही में “फिनोमिक्स” का बहु-विषयक विज्ञान विकसित हुआ है. नॉन-इनवेजिव सेंसर्स तथा प्रगत इमेज प्रोसेसिंग कम्प्यूटेशनल कार्यक्रमों का उपयोग कर बुआई से कटाई तक विभिन्न विकासशील अवस्थाओं पर लगभग वास्तविक समय में पौधों के कार्यिकीय एवं आकारिकीय गुणों का अविनाशकारी अभिलक्षणन, फिनोमिक्स है.
मानव स्वास्थ्य एवं रोगों के निदान में उपयोग किए जाने वाले एम.आर.आई. या सीटी-स्कैन के समान ही फिनोमिक्स में भी पौधों को क्षति पहुंचाए बिना लगभग वास्तविक समय में, क्षति न पहुंचाने वाले सैंसर्स एवं उन्नत प्रतिबिम्ब प्रसंस्करण अभिकलनी कार्यक्रमों का उपयोग किया जाता है.
फिनोमिक्स केंद्र-
यह केन्द्र हाई-टैक नियंत्रित जलवायु वाले ग्रीनहाउस, गतिशील फील्ड कन्वेयर सिस्टम, स्वचालित भारोत्तोलन एवं सिंचाई स्टेशन और विभिन्न इमेंजिंग सैंसर्स प्रतिबिम्बों का स्कैनेलाइजर 3 डी सॉफ्टवेयर द्धारा विश्लेषण इत्यादि सुविधाओं से सुसज्जित है.
जलवायु अनुकूल फसल-किस्में विकसित करने के लिए श्रेष्ठ जीनों एवं जीनप्ररूपों की पहचान करने हेतु यथेष्ट पर्यावरणीय परिस्थितियों के अ्रतर्गत, जननद्रव्य का सम्पूर्ण जीवन-चक्र के दौरान यथार्थ लक्षणप्ररूपण (फीनोटायपिंग) करने के लिए फिनोमिक्स उपयोगी है.
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इसकी सहायता से फसल सुधार एवं प्रबंधन के क्षेत्र में हमारे ज्ञान की सीमा के विस्तार के अगले चरण के रूप में जीनों एवं पर्यावरण के बीच परस्परिक क्रिया को समझा जा सकेगा.
फसल सुधार हेतु डिजिटल फीनोटायपिंग एवं बिग डेटा सांइस के अग्रणी अनुसंधान क्षेत्र में यह केन्द्र वैश्विक स्तर पर सक्षम मानव संसाधन विकसित करने में सहायक सिद्ध होगा.
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