पंजाब भूमि सुधार (संशोधन) विधेयक, 2017 में दो संशोधन किये गये. पंजाब के राजस्व विभाग की वित्तायुक्त विन्नी महाजन द्वारा जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी प्रकाशित की गयी. पंजाब में लंबे समय से इन संशोधनों के लिए मांग की जा रही थी.
पंजाब भूमि सुधार संशोधन को किसानों तथा आम नागरिकों के हित में किया गया संशोधन बताया गया. इन संशोधनों से किसानों को अधिक अवसर तथा अधिकार प्राप्त होंगे.
पहला संशोधन
पंजाब भूमि सुधार (संशोधन) विधेयक, 2017 के अनुसार पहला संशोधन इस विधेयक की धारा 3(8) में गया है जिसके अंतर्गत पहले अमरूद, केले के वृक्षों और अंगूरों के पौधों के तहत आने वाली भूमि को बाग़ नहीं माना जाता था. लेकिन इस संशोधन के बाद अब अमरूद, केले के वृक्षों और अंगूरों के पौधों के अधीन आती ज़मीन को भी बाग़ माना जायेगा.
कारण: राज्य में बढ़ रही कृषि विविधता के चलते राज्य में गेहूं एवं धान की भूमि को कम करने एवं अन्य फसलों जैसे सब्जियों तथा फलों की ओर किसानों को अधिक प्रेरित करने हेतु सरकार ने भूमि सुधार एक्ट की धारा 3(8) में संशोधन किया है.
लाभ: यह संशोधन किये जाने से राज्य में फलों की पैदावार को बढ़ावा मिलेगा तथा फसल विविधता प्रणाली को बल मिलेगा. विदित हो कि पंजाब में किन्नू के बाद अमरूद राज्य का दूसरा सबसे अधिक उगने वाला फल है. पंजाब में अमरुद की वार्षिक पैदावार लगभग 1,82,089 टन है जिसकी 8,103 हेक्टेयर भूमि पर खेती की जाती है. इस संशोधन के बाद अमरूद, केले, अंगूर के पौधे लगाने वाले किसानों को फलों के बाग़ लगाने वाले किसानों के समकक्ष सरकारी लाभ मिल सकेगा.
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दूसरा संशोधन
पंजाब भूमि सुधार (संशोधन) विधेयक, 2017 के अनुसार एक्ट में दूसरा संशोधन धारा 27 (जे) में किया गया है जिसके अनुसार कृषि के अधीन आने वाली ज़मीन जो गैर काश्तकारी कामों के लिये इस्तेमाल की जा रही है उसे इस विधेयक से बाहर रखा गया है.
इस विधेयक में यह उपबंध है कि कृषि भूमि को ऐसे ग़ैर कृषि उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करने वाले पंजाब भूमि सुधार विधेयक के इस संशोधन के प्रकाशित होने की तिथि से एक वर्ष में या ऐसी भूमि लेने के एक वर्ष के भीतर अपनी ज़मीन के वास्तविक प्रयोग में बदलाव का विवरण कलेक्टर को सौंपा जाना चाहिए. इन मामलों की जानकारी मिलने पर कलेक्टर राजस्व रिकार्ड में सम्बन्धित जानकारी दर्ज करवाएंगे.
कारण: पंजाब में बढ़ रही कृषि विविधता के कारण गेहूं, धान वाली भूमि और गैर काश्तकारी भूमि की पहचान करना आवश्यक हो गया है. किसानों को प्रोत्साहन तथा उन्हें सरकारी सहायता के लिए भी यह कदम महत्वपूर्ण है.
लाभ: इस संशोधन से गैर काश्तकारी कामों वाली भूमि को अलग से चिन्हित किया जा सकेगा जिससे कृषि और काश्तकारी भूमि की पहचान सुनिश्चित करके रिकॉर्ड रखा जा सकेगा.
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