राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए 7 लड़कियों सहित 18 बच्चों का चयन किया गया है. इनमें 3 बहादुर बच्चों को मरणोपरांत यह पुरस्कार दिए जाएंगे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 24 जनवरी 2018 को इन बच्चों को पुरस्कार देकर सम्मानित करेंगे. यह बहादुर बच्चे राजपथ पर आयोजित होने वाले गणतंत्र दिवस परेड 2018 में भाग लेंगे, जहां वे मुख्य आकर्षण केन्द्रों में एक होंगे.
प्रतिष्ठित भारत पुरस्कार उत्तर प्रदेश की 18 वर्षीय कुमारी नाजिया को दिया जाएगा, जिन्होंने अपने घर के आस-पास दशकों से चल रहे अवैध जुए और सट्टेबाजी के खिलाफ आवाज़ उठाई. जान से मारने की धमकी के बावजूद उन्होंने अपना संघर्ष जारी रखा.
भारत पुरस्कार: नाजिया (उत्तर प्रदेश)
18 वर्षीय नाजिया ने आगरा के मंटोला इलाके में 40 साल से चल रहे अवैध जुए और सट्टों के अड्डों के खिलाफ आवाज उठाई. इस गैर कानूनी काम से इलाके के सभी निवासी और दुकानदार आतंकित थे लेकिन नाज़िया ने बिना किसी डर के आवाज उठाई. उसे कई बार अगवा करने की कोशिश भी की गयी तथा उसके माता-पिता के साथ मार-पीट भी की गयी. इन सबकी परवाह न करते हुए उसने अपना संघर्ष जारी रखा. लगातार मिल रही धमकियों के बावजूद उसने यूपी के मुख्यमंत्री को जुलाई 2016 में ट्वीट किया और अंततः बदमाशों के खिलाफ कारवाई हुई एवं उसकी सुरक्षा सुनिश्चित की गयी.
गीता चोपड़ा अवार्ड: नेत्रावती एम चव्हाण (कर्नाटक), मरणोपरांत
कर्नाटक की रहने वाली नेत्रावती एम चव्हाण ने तालब में डूबते दो बच्चों को बचाया. लेकिन 30 फुट गहरे इस तालाब में स्वयं डूब गई. निर्भकतापूर्वक खतरे का सामना करते हुए बच्चों की जान बचाते हुए अपने जीवन का बलिदान करने वाली नेत्रावती को गीता चोपड़ा वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
संजय चोपड़ा अवार्ड: करनबीर (पंजाब)
20 सितबंर 2016 को करनबीर स्कूल बस से घर लौट रहा था. तभी असंतुलित गति से जा रही बस नाले में जा गिरी. करनबीर बहादुरी पूर्वक बस का दरवाजा तोड़कर बाहर निकला और 15 छोटे बच्चों को बस से बाहर निकलने में मदद की. इस घटना में 08 बच्चों को तो बचा लिया गया लेकिन सात बच्चों की जान चली गई. करनबीर बड़ा होकर पुलिस ऑफिसर बनना चाहता है. उसे संजय चोपड़ा अवार्ड के लिए चयनित किया गया है.
मेघालय के मास्टर बेटशवाजॉन पेनलेंग (14 वर्ष), ओडिशा की कुमारी ममता दलाई (7.5 वर्ष) और केरल के मास्टर सेवेस्टियन विनसेंट (13.5 वर्ष) को बापू गैधानी पुरस्कार दिया जाएगा. बेटशवाजॉन ने बहादुरी से अपने भाई को जिंदा जलने से बचाया. ममता दलाई ने अपनी दोस्त को एक मगरमच्छ के जबड़े से बाहर निकाला. सेवेस्टियन ने रेल पटरी पर एक दुर्घटना से अपने दोस्त को बचाया.
पुरस्कार प्राप्त करने वाले अन्य बच्चे - कुमारी लक्ष्मी यादव (छत्तीसगढ़), कुमारी मनशा एन, मास्टर एन. शांगपोन कोंनयाक, मास्टर योआकनेई, मास्टर चिंगई वांगसा (सभी नागालैंड से), कुमारी समृद्धि सुशील शर्मा (गुजरात), मास्टर ज़ोनंटुलांगा, स्वर्गीय मास्टर एफ. लालचंदमा (दोनों मिजोरम से), मास्टर पंकज सेमवाल (उत्तराखंड), मास्टर नदफ मोहम्मद अब्दुल रउफ (महाराष्ट्र), स्वर्गीय कुमारी लोक्राकपम राजेश्वरी छानू (मणिपुर) और मास्टर पंकज कुमार महंता (ओडिशा).
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के अंतर्गत एक मेडल, प्रमाण-पत्र और नगद धनराशि दी जाती है. स्कूली शिक्षा पूरी करने तक उन्हें वित्तीय सहायता भी दी जाती है. कुछ राज्य सरकारें भी उन्हें वित्तीय सहायता देती हैं. वर्ष 1957 से अब तक 963 बहादुर बच्चों को ये पुरस्कार दिए गए हैं जिनमें 680 लड़के और 283 लड़कियां हैं.
चयन प्रक्रिया
नेशनल ब्रेवरी अवार्ड इंडियन काउंसिल फॉर चाइल्ड वेलफेयर (आईसीसीडब्लू) इसका आयोजन करता है. इस सम्मान के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाई जाती है. इस समिति में 36 सदस्य होते हैं. इस समिति में राष्ट्रपति भवन, आईसीसीडब्लू, रक्षा मंत्रालय, सामाजिक न्याय मंत्रालय, आईपीएस ऑफिसर, बच्चों से जुड़े एनजीओ के सदस्य होते हैं. सभी जिलों के जिलाधिकारी अपने-अपने जिलों के बहादुर बच्चों की कहानियां इस समिति को भेजते हैं तथा यह समिति इन बच्चों का चयन करती है. 30 सितंबर तक सभी बच्चों के बारे में जानकारी आ जानी चाहिए.
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