जम्मू-कश्मीर रेडियो के क्षेत्रीय समाचार यूनिट ने 10 नवम्बर 2016 को गोजरी भाषा के समाचार बुलेटिन का शुभारम्भ किया. राज्य में व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा गोजरी बोलने वालों की लंबे समय से सुबह का गोजरी समाचार प्रसारण करने की मांग की जा रही थी.
रेडियो कश्मीर जम्मू के ट्रांसमीटरों से गोजरी भाषा का समाचार बुलेटिन पांच मिनट का होगा. जो दैनिक 10:15 बजे प्रसारित किया जाएगा. सीमा पार से जारी भारत विरोधी दुष्प्रचार में यह बुलेटिन मददगार सिद्ध होगा.
गोजरी समाचार बुलेटिन के बारे में-
• गोजरी भाषा के समाचार बुलेटिन प्रसारण का उद्घाटन औपचारिक रूप से उप मुख्यमंत्री डॉ निर्मल सिंह द्वारा 10 नवम्बर 2016 को सुबह 9.30 बजे अभिनव थियेटर में किया गया.
• निदेशक क्षेत्रीय समाचार एकांश राजेश झा के अनुसार जम्मू- कश्मीर राज्य के अलावा गुलाम कश्मीर और दूरदराज के सीमांत क्षेत्रों की 20 फीसद आबादी गोजरी बोलती है.
• इनमें से अधिकतर खानाबदोश जनजातियों (घुमक्कड़) सहित सामान्य और गुर्जर बकेर्वल समुदाय के लोगों के मनोरंजन और सूचना का साधन आज भी रेडियो ही है.
• गोजरी का यह पांच मिनट का बुलेटिन शुरू होने से बड़ी संख्या में लोगों को लाभ होगा.
• सरकार की सभी योजनाओं और घोषणा का गोजरी बोलने वालों को समय पर पता चल सकेगा.
• गोजरी बोलने और समझने वालों की राज्य में बड़ी संख्या है.
• सीमांत क्षेत्र के अधिकतर लोग गोजरी बोलते हैं.
गोजरी भाषा-
• गोजरी भाषा इंडो-आर्यन बोली जाने वाली भाषा की एक किस्म है. इसे गुज्जर भाखा, गोजरी या गुजर अपभ्रंश के रूप में भी जाना जाता है.
• यह मुख्य रूप से भारत और पाकिस्तान के गुर्जरों द्वारा बोली जाती है.
• जम्मू-कश्मीर सरकार ने छठे संविधान की अनुसूची में शामिल करके गोजरी भाषा को पहचान दी.
• 12 वीं सदी में गोजरी भाषा साहित्यिक भाषा के रूप में प्रयोग की जाती थी.
• 1014 ईस्वी में कवि भोजा ने गुर्जर अपभ्रंश का प्रयोग किया.
• भारत में यह भाषा मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, पंजाब, मरी, नथिआगल्ली, और कुछ अन्य स्थानों पर बोली जाती है.
नोट: भारत में केवल जम्मू एवं कश्मीर राज्य का अपना संविधान है. इसे 17 नवंबर 1956 को अपनाया और 26 जनवरी 1957 को अस्तित्व में आया.
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