Ramon Magsaysay Award 2022: रेमन मैग्सेसे पुरस्कार 2022 की घोषणा, जानें कौन है इस बार के विजेता?
Ramon Magsaysay Award 2022: वर्ष 2022 रेमन मैग्सेसे पुरस्कार की घोषणा हो गयी है. इस बार यह पुरस्कार सोथियारा छिम, गैरी बेनचेघिब, तदाशी हटोरी और बर्नाडेट मैड्रिड को दिया गया है. भारत की के.के. शैलजा ने इस पुरस्कार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया, जानें क्यों?

Ramon Magsaysay Award 2022: वर्ष 2022 रेमन मैग्सेसे पुरस्कार की घोषणा कर दी गयी है. इस बार यह पुरस्कार चार लोगों को दिया गया . 2022 के रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेताओं में गैरी बेनचेघिब (Gary Bencheghib), तदाशी हटोरी (Tadashi Hattori), सोथियारा छिम (Sotheara Chhim) और बर्नाडेट मैड्रिड (Bernadette Madrid) शामिल है. इसे 'एशिया का नोबेल शांति पुरस्कार' भी माना जाता है. यह पुरस्कार रेमन मैग्सेसे अवार्ड्स फाउंडेशन (RMAF) द्वारा प्रतिवर्ष दिया जाता है. यह पुरस्कार का 64वां संस्करण था.
We proudly present the 2022 Ramon Magsaysay Awardees. For more information, visit https://t.co/13iyCweLbi. #RamonMagsaysayAward #GreatnessOfSpiritBeyondBorders #GreatnessofSpirit #TransformativeLeadership #64thRamonMagsaysayAwards@TPOCambodia @GaryBencheghib @ChhimSotheara pic.twitter.com/3PyVpsX7qj
— Ramon Magsaysay Award (@MagsaysayAward) August 31, 2022
64वें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार 2022 विजेताओं की लिस्ट:
नाम (विजेता ) | देश |
सोथियारा छिम (Sotheara Chhim) | कंबोडिया |
गैरी बेनचेघिब (Gary Bencheghib) | इंडोनेशिया |
तदाशी हटोरी (Tadashi Hattori) | जापान |
बर्नाडेट मैड्रिड (Bernadette Madrid) | फिलीपींस |
रेमन मैग्सेसे पुरस्कार 2022 विजेताओं के बारे में:
- सोथियारा छिम (Sotheara Chhim): सोथियारा छिम एक कंबोडियाई मनोचिकित्सक और मानसिक स्वास्थ्य अधिवक्ता, जो अपने देशवासियों की मानसिक स्वास्थ्य सम्बंधित रोगों का इलाज कर रहे है. वह नोम पेन्ह के स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय में चिकित्सा का अध्ययन किया है. एक बच्चे के रूप में, उन्हें खमेर रूज शिविरों में तीन वर्ष से अधिक समय तक काम करने के लिए मजबूर किया गया था.
- गैरी बेनचेघिब (Gary Bencheghib): गैरी बेनचेघिब एक युवा फ्रांसीसी है जो बाली, इंडोनेशिया में नदी में समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण को मिटाने के मिशन पर है. जब वह नौ साल के थे तब से उसके माता-पिता बाली में रह रहे है और तब से यह उसका घर है. वह "मेक ए चेंज वर्ल्ड" नामक एक संगठन चलाते है, जो प्लास्टिक प्रदूषण और पर्यावरण संरक्षण पर कार्य करता है.
- तदाशी हटोरी (Tadashi Hattori): तदाशी हटोरी एक जापानी नेत्र रोग विशेषज्ञ और समाजसेवी है जिन्होंने वियतनाम में मुफ्त नेत्र शल्य चिकित्सा प्रदान करने में अपना समय और संसाधन लगाया. 48 वर्षीय हटोरी का जन्म 1964 में ओसाका, जापान में हुआ. उन्होंने 1993 में क्योटो प्रीफेक्चुरल यूनिवर्सिटी ऑफ़ मेडिसिन से स्नातक किया. और फिर समाजसेवा के कार्यो में लग गए.
- बर्नाडेट मैड्रिड (Bernadette Madrid): बर्नाडेट जे. मैड्रिड एक फिलिपिनो बाल रोग विशेषज्ञ हैं, जो बाल संरक्षण के अधिकार के लिए कार्य कर रही है. उन्होंने 1997 से मनीला के पहले बाल संरक्षण केंद्र फिलीपीन जनरल अस्पताल का नेतृत्व कर रही है. इस केंद्र के माध्यम से उन्होंने 2021 तक 27,000 से अधिक बच्चों की सेवा की है.
भारत की के.के. शैलजा ने क्यों ठुकराया 2022 का रेमन मैग्सेसे पुरस्कार?
केरल की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [CPI(M)] केंद्रीय समिति की सदस्य के.के. शैलजा ने रेमन मैग्सेसे अवार्ड फाउंडेशन के 2022 के पुरस्कार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. रेमन मैग्सेसे अवार्ड फाउंडेशन, के.के. शैलजा को केरल में निपाह वायरस और COVID-19 महामारी के दौरान सार्वजनिक सेवा और सामुदायिक नेतृत्व के लिए उन्हें सम्मानित करना चाहता था. लेकिन उन्होंने इसे एक सामूहिक प्रयास बताकर, व्यक्तिगत रूप से इस पुरस्कार को लेने से मना कर दिया.
रेमन मैग्सेसे पुरस्कार के बारे में:
रेमन मैग्सेसे पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1957 में की गयी थी. इस पुरस्कार का प्रबंधन रेमन मैग्सेसे अवार्ड्स फाउंडेशन (RMAF) द्वारा किया जाता है. इस पुरस्कार का नाम फिलीपींस के तीसरे राष्ट्रपति रेमन मैग्सेसे के नाम पर रखा गया है. इस पुरस्कार को विश्व भर में 'एशिया का नोबेल पुरस्कार' माना जाता है. प्रतिवर्ष 31 अगस्त को फिलीपींस की राजधानी मनीला में इस पुरस्कार की घोषणा की जाती है. पहला रेमन मैग्सेसे पुरस्कार समारोह 31 अगस्त 1958 को आयोजित किया गया था.
रेमन मैग्सेसे पुरस्कार के भारतीय विजेता:
रेमन मैग्सेसे पुरस्कार जीतने वाले प्रमुख भारतीयों में विनोबा भावे (1958),मदर टेरेसा (1962),कमलादेवी चट्टोपाध्याय (1966),सत्यजीत रे (1967) और महाश्वेता देवी (1997) शामिल हैं. अभी हाल के वर्षों में, अरविंद केजरीवाल (2006), अंशु गुप्ता गूंज (2015), मानवाधिकार कार्यकर्ता बेजवाड़ा विल्सन (2016), और पत्रकार रवीश कुमार (2019) ने यह प्रतिष्ठित पुरस्कार जीता है.
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