RBI का बड़ा आदेश, 1 अक्टूबर से सभी बैंक जोड़ें रेपो रेट से लोन

Sep 5, 2019, 14:58 IST

आरबीआई ने सभी बैंकों को 01 अक्टूबर से रेपो रेट के साथ होम लोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन और एमएसएमई सेक्टर के सभी प्रकार के लोन को जोड़ने का आदेश दिया है.

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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को सभी लोन रेपो रेट से जोड़ने का आदेश दिया है. आरबीआई ने सभी बैंकों को 01 अक्टूबर से रेपो रेट के साथ होम लोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन और एमएसएमई सेक्टर के सभी प्रकार के लोन को जोड़ने का आदेश दिया है.

आरबीआई ने रेपो रेट जैसे बाहरी बेंचमार्क के अंतर्गत ब्याज दरों में तीन महीने में कम से कम एक बार बदलाव करने को कहा है. आरबीआई दरअसल पिछले कुछ महीनों से लगातार सभी सरकारी और प्राइवेट बैंको से रेपो रेट के साथ बैंक लोन को जोड़ने के लिए कह रहा था. लेकिन आरबीआई की इस बात को कई बैंक नरअंदाज कर रहे थे. जिसके बाद अब आरबीआई को डेडलाइन के साथ आदेश देना पड़ा है.

आरबीआई के अनुसार, रेपो रेट में 0.85 प्रतिशत कटौती के बाद भी बैंक इसका फायदा ग्राहकों को नहीं दे रहे हैं. आरबीआई ने साल 2019 में रेपो रेट में चार बार कटौती की है जिसमें कुल मिलाकर 1.10 प्रतिशत की कटौती की गई है. आरबीआई अप्रैल से 0.85 प्रतिशत तक की कटौती कर चुका है. आरबीआई के अनुसार, उसकी रेपो रेट में 0.85 प्रतिशत कटौती के बाद बैंक अगस्त तक मात्र 0.30 प्रतिशत तक ही कटौती कर पाए हैं.

ग्राहकों को फायदा

रेपो रेट को ब्‍याज दर से जोड़ने की व्‍यवस्‍था लागू होने का सीधा फायदा ग्राहकों को मिलेगा. क्योंकि आरबीआई अब आगे से जब-जब रेपो रेट में कटौती करेगा तब बैंकों के लिए भी ब्याज दर में कटौती करना अनिवार्य हो जाएगा. इस कटौती का असर यह होगा कि किसी भी प्रकार के लोन की ईएमआई दर में कमी आएगी.

रेपो रेट से लोन को जोड़ने की व्यवस्था लागू होने के बाद सिस्टम पहले के अपेक्षा ज्‍यादा पारदर्शी बनेगा. इससे प्रत्येक कर्ज लेने वाले व्‍यक्ति को ब्याज दर के बारे में पता चलेगा.

रेपो रेट क्या है?

रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है. बैंक भी इसी आधार पर ग्राहकों को कर्ज मुहैया कराते हैं. रेपो रेट कम होने से बैंकों को राहत मिलती है. इसके बाद बैंक कर्ज को कम ब्‍याज दर पर ग्राहकों तक पहुंचा सकते हैं.

01 अक्टूबर से होगी नई व्यवस्था लागू

आरबीआई ने 04 सितम्बर 2019 को बयान में कहा कि ऐसा देखने को मिला है कि मौजूदा कोष की सीमान्त लागत आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) व्यवस्था में नीतिगत दरों में बदलाव को बैंकों की ऋण दरों तक पहुंचाना कई वजहों से संतोषजनक नहीं है. आरबीआई ने इसी के कारण 04 सितम्बर को एक सर्कुलर जारी कर बैंकों के लिए सभी नये फ्लोटिंग रेट वाले व्यक्तिगत या खुदरा ऋण और एमएसएमई को फ्लोटिंग रेट वाले कर्ज को एक अक्टूबर 2019 से बाहरी मानक से जोड़ने का आदेश दिया है.

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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