RBI Monetary Policy: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 10 फरवरी 2022 को अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति (bi-monthly policy) के फैसलों की घोषणा की. आरबीआई ने रेपो रेट (repo rate) में कोई बदलाव नहीं किया है और इसे चार प्रतिशत पर बरकरार रखा है.
यानी आरबीआई ने लगातार 10वीं बार दरों को यथावत रखा है. आरबीआई ने इसके साथ ही रिवर्स रेपो रेट (reverse repo rate) को भी 3.35 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. केंद्रीय बैंक की बजट के बाद यह पहली और इस वित्त वर्ष की अंतिम द्विमासिक मौद्रिक नीति है.
तीन दिवसीय बैठक
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास तीन दिवसीय बैठक में किए गए फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि रेपो रेट (repo rate) बिना किसी बदलाव के साथ 4 प्रतिशत पर यथावत रहेगा. रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई द्वारा बैंकों को लोन दिया जाता है. बैंक इसी लोन से ग्राहकों को कर्ज देते हैं. रेपो रेट कम होने का मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे.
एमएसएफ रेट और बैंक रेट: एक नजर में
एमएसएफ रेट और बैंक रेट बिना किसी बदलाव के साथ 4.25 प्रतिशत रहेगा. आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट (reverse repo rate) को भी 3.35 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. आरबीआई ने रेपो दर तथा रिवर्स रेपो दर को इस बार भी बिना किसी बदलाव के यथावत रखा है. रिवर्स रेपो रेट वह दर है, जिस पर बैंकों की तरफ से जमा पर आरबीआई से ब्याज मिलता है. रिवर्स रेपो रेट के माध्यम से बाजार में लिक्विडिटी कंट्रोल किया जाता है.
जीडीपी ग्रोथ 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान
आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए रियल जीडीपी ग्रोथ 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है. उन्होंने इसके साथ ही कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
महंगाई दर के अनुमान
आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास ने महंगाई दर के अनुमान के बारे में बात करते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में 4.9 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में 5 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में महंगाई दर 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
भारत सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रिकवरी को बड़े स्तर पर टीकाकरण और फिस्कल तथा मॉनेटरी सपोर्ट से समर्थन प्राप्त हुआ है. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भारत सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के तौर पर सबसे तेज रफ्तार से आगे बढ़ेगी. आरबीआई गवर्नर के मुताबिक बैंकों की बैलेंसशीट में मजबूती आई है.
नीतिगत दरों में बदलाव
गौरतलब है कि आरबीआई ने अंतिम बार 22 मई 2020 को नीतिगत दरों में बदलाव किया था. बता दें कि आरबीआई ने मई 2020 में कोविड-19 महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था का समर्थन करने हेतु प्रमुख नीतिगत दरों को एतिहासिक निम्न स्तर तक घटा दिया था. आरबीआई ने तब से यथास्थिति को बनाए रखा है.
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