उत्तर प्रदेश सरकार ने 20 अप्रैल 2017 को लिए गए निर्णय के तहत वीआइपी कल्चर का समापन करते हुए लाल- नीली बत्ती प्रतिबंधित कर दी गई. राज्य सरकार के निर्णय के बाद अब प्रदेश कोई भी मंत्री या उच्च स्तरीय अधिकारी अपने सरकारी या व्यक्तिगत वाहन पर लाल-नीली बत्ती का प्रयोग नहीं कर सकेगा.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में मंत्रियों ने शास्त्री भवन में यह फैसला किया. उत्तर प्रदेश में तत्काल प्रभाव से यह फैसला प्रभावी कर दिया गया. इससे पहले ही मंत्रियों और अधिकारीयों द्वारा अपनी गाड़ी से लाल बत्ती उतारना आरम्भ कर दिया.
इससे पहले केंद्र की मोदी सरकार ने वीआइपी कल्चर खत्म करने के लिए राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सुप्रीमकोर्ट के न्यायाधीश, उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, राज्यों के मुख्यमंत्री व मंत्रियों की गाड़ी से लाल बत्ती उतारने का फैसला किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा किय गया फैसला 1 मई से अमल में लाया जाना है.
इमरजेंसी सेवाओं पर नीली बत्ती की छूट-
वीआइपी कल्चर खत्म करने के केन्द्र सरकार के फैसले के 24 घंटे के भीतर उत्तर प्रदेश में उसका व्यापक असर देखने को मिला.
उत्तर प्रदेश सरकार के इस आदेश के बाद सिर्फ एंबुलेंस, सेना, फायर बिग्रेड और पुलिस के वाहनों पर ही लाल नीली बत्ती का प्रयोग किया जा सकेगा.
पीली बत्ती-
- पीली बत्ती का प्रयग इनकम टैक्स कमिश्नर, रिवेन्यू कमिश्नर, डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ही करते हैं.
- पुलिस अधिकारियों और रक्षा मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों को लाल बत्ती लगाने की छूट प्रदान की गयी है.
प्रदेश सरकार के प्रवक्ता के अनुसार वीआइपी सुरक्षा में लगे अतिरिक्त बलों को भी कम किए जाने का फैसला किया गया. लाल बत्ती और नीली बत्ती के अलावा पीली बत्ती भी होती है. राज्य में अमल हुआ तो प्रदेश के साढ़े चार सौ से अधिक वीवीआइपी व वीआइपी गाड़ियों से लाल-नीली बत्ती हट जायेगी.
लाल और पीली बत्ती हटने वालों में सरकार के मंत्री, विधानमंडल के विभिन्न कमेटियों के सभापति और अनुमंडल से सचिवालय में बैठे आइएएस और आइपीएस अधिकारी भी शामिल हैं.
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