वैज्ञानिकों ने 17 क्षुद्रग्रहों पर पानी की मौजूदगी के सबूत खोजे

Dec 20, 2018, 17:45 IST

वैज्ञानिकों द्वारा किये गये शोध के अनुसार, यह खोज सौरमंडल में पानी के वितरण प्रणाली को जानने का अवसर प्रदान करेगी. खोज में पता लगा है कि खगोलीय पिंडों में किसी न किसी रूप में पानी हुआ करता होगा.

Researchers discover evidence of water in 17 asteroids
Researchers discover evidence of water in 17 asteroids

जापानी वैज्ञानिकों ने 17 क्षुद्रग्रहों पर पानी होने के सबूत खोजने का दावा किया है. वैज्ञानिकों का दावा है कि इन्फ्रारेड उपग्रह ‘अकारी’ द्वारा इसकी खोज की गई है.

वैज्ञानिकों द्वारा किये गये शोध के अनुसार, यह खोज सौरमंडल में पानी के वितरण प्रणाली को जानने का अवसर प्रदान करेगी. इसके अतिरिक्त इस खोज से क्षुद्रग्रहों की उत्पत्ति एवं विकास तथा पृथ्वी पर पानी की मौजूदगी के इतिहास के बारे में भी पता चल सकेगा. यह शोध पब्लिकेशन ऑफ एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ़ जापान में प्रकाशित हुआ है.

खोज के मुख्य बिंदु

•    वैज्ञानिकों द्वारा शोध में पता लगाया गया है कि हमारे सौर मंडल में मौजूद खगोलीय पिंडों में किसी न किसी रूप में पानी हुआ करता होगा.

•    क्षुद्रग्रहों को उन स्त्रोतों में से एक माना जाता है जो कि हमारी पृथ्वी तक पानी लाए हैं.

•    पब्लिकेशन ऑफ एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ऑफ जापान में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जेएएक्सए) और टोक्यो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया है कि क्षुद्रग्रहों में पानी हायड्रेटेड मिनरल्स के रूप में रहा होगा. इनका निर्माण पानी के केमिकल रिएक्शन से हुआ होगा.

•    हाइड्रेटेड खनिज बर्फ के ऊष्मायन तापमान से भी अधिक समय तक स्थिर पाए गये हैं. हाइड्रेटेड खनिजों की जांच-पड़ताल करने पर वैज्ञानिक यह पता लगा सकते हैं कि क्षुद्रग्रहों में पानी था अथवा नहीं.

•    इन्फ्रारेड तरंगों में अणुओं, बर्फ और खनिजों जैसे विभिन्न पदार्थों की मौजूदगी होती है जिन्हें साधारण दृष्टि से देखा नहीं जा सकता है.

क्षुद्रग्रह क्या होता है?

क्षुद्रग्रह (Asteroid) एक खगोलीय पिंड होते है जो ब्रह्मांड में विचरण करते रहते हैं. यह आपने आकार में ग्रहों से छोटे और उल्का पिंडो से बड़े होते हैं. खोजा जाने वाला पहला क्षुद्रग्रह, सेरेस, 1819 में ग्यूसेप पियाज़ी द्वारा खोजा गया था और इसे मूल रूप से एक नया ग्रह माना जाता था. दो तिहाई क्षुद्रग्रह उन कक्षाओं में घूमते हैं जो मंगल तथा बृहस्पति ग्रहों की कक्षाओं के बीच पड़ती हैं इसलिए इसे एस्टेरोइड बेल्ट भी कहा जाता है. अधिकतर क्षुद्रग्रह उन्हीं पदार्थों से बने माने जाते हैं, जिनमें पृथ्वी पर पाए जाने वाले पत्थर बने हैं. हालांकि, क्षुद्रग्रहों की सतह के तापमान भिन्न हैं और इसके बारे में शोध जारी है.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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