यूपी के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करना होगा: सुप्रीम कोर्ट

May 7, 2018, 17:48 IST

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को कार्यकाल की समाप्ति के बावजूद सरकारी आवास में बने रहने की अनुमति देने वाले कानूनी संशोधन को रद्द कर दिया. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास खाली करना होगा.

No govt bunglow to former chief ministers of UP
No govt bunglow to former chief ministers of UP

सुप्रीम कोर्ट द्वारा 07 मई 2018 को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवासों से सम्बंधित महत्वपूर्ण फैसला सुनाया गया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपने-अपने सरकारी आवास खाली करने होंगे.

सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को अब सरकारी बंगला नहीं मिलेगा. सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आदेश के बाद अब पिछले मुख्यमंत्रियों जैसे अखिलेश यादव, मायावती, कल्याण सिंह आदि को अपने आवास खाली करने होंगे.

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को कार्यकाल की समाप्ति के बावजूद सरकारी आवास में बने रहने की अनुमति देने वाले कानूनी संशोधन को रद्द कर दिया. न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कानून में संशोधन संवैधानिक अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात है क्योंकि यह संविधान के तहत कोई व्यक्ति सार्वजनिक पद छोड़ देता है तो उसमें और आम नागरिक में कोई अंतर नहीं रह जाता. गौरतलब है कि अखिलेश यादव सरकार द्वारा ‘उत्तर प्रदेश मंत्री (वेतन, भत्ते और अन्य प्रावधान) कानून, 1981’ में संशोधन करके पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला दिए जाने का प्रावधान किया गया था.


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क्या है पूरा मामला?

  • वर्ष 1997 में लोकप्रहरी नाम के एनजीओ ने उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री को बंगला दिए जाने के नियम को चुनौती दी थी.
  • इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये किसी एक राज्य का मामला नहीं बल्कि पूरे देश का मामला है.
  • सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के लिए वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम को अमाइक्स क्यूरी (न्याया मित्र) नियुक्त किया जिन्होंने पूर्व राष्ट्रपतियों और पूर्व प्रधानमंत्रियों को सरकारी बंगला देने को गलत बताया था.
  • वर्ष 2016 के अगस्त महीने में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के उस आदेश को खारिज कर दिया था जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को जीवन भर मुफ्त सरकारी आवास देने की व्यवस्था की गई थी.
  • एनजीओ ने अपनी याचिका में उत्तर प्रदेश मंत्री (वेतन, भत्ते और अन्य प्रावधान) कानून, 1981 का हवाला देते हुए बताया कि इस क़ानून के सेक्शन चार में कहा गया है कि जैसे ही मुख्यमंत्री पद छोड़ेंगे उन्हें 15 दिन के भीतर सरकारी आवास खाली करना होगा.


पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कानून में संशोधन किया था, जिसके मुताबिक उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को रहने के लिए सरकारी बंगला दिए जाए का प्रावधान किया गया था. इसी कानून को एक जनहित याचिका के जरिए चुनौती दी गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अखिलेश सरकार के कानून को पलट दिया. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब अखिलेश यादव, मायावती, राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह को प्रदेश में मिला सरकारी बंगला खाली करना होगा.

 

 

          सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को कार्यकाल की समाप्ति के बावजूद सरकारी आवास में बने रहने की अनुमति देने वाले कानूनी संशोधन को रद्द कर दिया. न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कानून में संशोधन संवैधानिक अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात है क्योंकि यह संविधान के तहत कोई व्यक्ति सार्वजनिक पद छोड़ देता है तो उसमें और आम नागरिक में कोई अंतर नहीं रह जाता. गौरतलब है कि अखिलेश यादव सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश मंत्री (वेतन, भत्ते और अन्य प्रावधान) कानून, 1981’ में संशोधन करके पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला दिए जाने का प्रावधान किया गया था.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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