भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 28 मार्च 2018 को कॉरपोरेट प्रशासन में सुधार के लिए कोटक समिति द्वारा सुझाई गई ज्यादातर सिफारिशों को मंजूरी प्रदान कर दी है.
इसके तहत अप्रैल, 2020 से भारत की शीर्ष-500 कंपनियों में चेयरमैन और एमडी के पद को अलग-अलग किया जाएगा. अभी तक यह पद एक ही व्यक्ति द्वारा संभाला जाता है.
इस नए नियम के लागू होने के बाद इन कंपनियों को चेयरमैन और एमडी अलग-अलग नियुक्त करने होंगे. सेबी के इस नए नियम से करीब साढ़े छह सौ कंपनियां प्रभावित होंगी.
सेबी के इस फैसले से मुकेश अंबानी(रिलायंस इंडस्ट्री ज), अजीम प्रेमजी (विप्रो), वेणु श्रीनिवासन (टीवीएस मोटर्स), सज्जन जिंदल (जेएसडब्लटयू), वेणुगोपाल धूत (वीडियोकॉन), किशोर बियाणी (फ्यूचर रिटेल) और गौतम अडाणी (अडाणी पोर्ट) सहित कई अन्य, लोगों को अपने पद में कटौती करनी होगी. अभी ये लोग चेयरमैन और प्रबंध निदेशक या सीईओ की भूमिका एक साथ निभा रहे हैं.
सेबी ने यह फैसला क्यों लिया?
सेबी ने कोटक कमेटी की सिफारिशों के बाद चेयरमैन और एमडी पद पर अलग-अलग व्यक्तियों की नियुक्ति का कड़ा फैसला लिया है. हालांकि सेबी को सौंपी अपनी सिफारिशों में कोटक कमेटी ने कहा है कि चेयरमैन और एमडी अलग-अलग होने से सारे अधिकार एक व्यक्ति के पास नहीं रहेंगे. ऐसा करने से कंपनियों के परिचालन में सुधार आएगा.
बिना किसी संशोधन के सेबी द्वारा स्वीकार किए गए सुझाव:
• उदय कोटक समिति ने जो सिफारिशें की हैं उनमें से 40 को सेबी ने बिना किसी संशोधन के स्वीकार कर लिया है.
• सेबी में लिस्टेड कंपनियों में अब स्वतंत्र निदेशकों की हिस्सेदारी 10 फीसदी के बजाए आठ फीसदी होगी.
• 01 अप्रैल 2020 से लिस्टेड कंपनियों में अधिकतम 7 निदेशक ही होंगे.
• सेबी में लिस्टेड कंपनियों को अपने निदेशक मंडल में कम से कम एक महिला निदेशक शामिल करनी होगी.
• महिला निदेशक की नियुक्ति 01 अप्रैल 2019 तक करनी होगी.
• दिवालिया हो चुकी कंपनियां एक्सचेंज के नियमों का पालन नहीं करेंगी तो उनके प्रमोटर्स की शेयर होल्डिंग सीज की जाएगी.
• बाजार में लिस्टेड कंपनियों को अपने ऑडिटर की योग्यता और उसकी फीस के बारे में सेबी को बताना होगा.
उदय कोटक समिति:
भारत में सूचीबद्ध संस्थाओं के कॉरपोरेट प्रशासन में सुधार की सिफारिशों के लिए सेबी ने 2017 के जून में कोटक समिति का गठन किया था.
उदय कोटक की अध्यक्षता वाली समिति ने कंपनी बोर्ड का संचालन करने वाले नियमों, पारदर्शिता एवं खुलासों से संबंधित अनुमानों और संबंधित पक्ष के लेन-देन के परीक्षण जैसे मसलों को लेकर कई सुधारों की अनुशंसा की.
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