तेलंगाना के पालमपेट में स्थित मशहूर रामप्पा मंदिर (Ramappa Temple) को यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल कर लिया गया है. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने राज्य की जनता को बधाई दी और देशवासियों से निजी अनुभव के लिए वहां का दौरा करने का आग्रह किया.
पीएम मोदी ने यूनेस्को की तरफ से किए गए ट्वीट को शेयर करते हुए लिखा कि शानदार! सभी को बहुत-बहुत बधाई, खासकर तेलंगाना की जनता को. प्रतिष्ठित रामप्पा मंदिर महान काकतीय वंश की उत्कृष्ट शिल्प कला को दर्शाता है. मैं आप सभी से आग्रह करूंगा कि इस भव्य मंदिर परिसर का जरूर दौरा करें और इसकी भव्यता को खुद अनुभव करें.
Excellent! Congratulations to everyone, specially the people of Telangana.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 25, 2021
The iconic Ramappa Temple showcases the outstanding craftsmanship of great Kakatiya dynasty. I would urge you all to visit this majestic Temple complex and get a first-hand experience of it’s grandness. https://t.co/muNhX49l9J pic.twitter.com/XMrAWJJao2
तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने क्या कहा?
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने ऐतिहासिक रामप्पा मंदिर को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता देने के यूनेस्को के फैसले की सराहना की. राव ने यूनेस्को के सदस्य राष्ट्रों, केंद्र सरकार को उसके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया. इसी क्रम में तेलंगना के पर्यटन मंत्री वी श्रीनिवास गौड़ ने ट्विटर पर कहा कि यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि काकतीय युग के 800 साल पुराने रामप्पा मंदिर को यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल के रूप में अंकित किया गया है.
यूनेस्को को 2019 में दिया गया था प्रस्ताव
गौरतलब है कि रामप्पा मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में किया गया था. इसका नाम इसके शिल्पकार रामप्पा के नाम पर रखा गया है. सरकार ने 2019 के लिए यूनेस्को को इसे विश्व धरोहर स्थल के तौर पर मान्यता देने का प्रस्ताव दिया था. आज लगभग 2 साल के लंबे इंतजार के बाद यूनेस्को ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है, और रामप्पा मंदिर को विश्व धरोहर स्थल के तौर पर मान्यता दे दी है.
सबसे बड़ी बात यह है कि उस काल में बने ज्यादातर मंदिर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं, लेकिन कई आपदाओं के बाद भी इस मंदिर को कोई खास नुकसान नहीं पहुंचा है. यह मंदिर हजार खंभों से बना हुआ है. यह तेलंगाना की प्राचीन संस्कृति की समृद्धि का प्रमाण है.
भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर
भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में मुख्य रूप से रामलिंगेश्वर स्वामी की पूजा होती है. इसका निर्माण 13वीं शताब्दी में हुआ था. मंदिर को शिल्पकार रामप्पा का नाम दिया गया, जिसने 40 वर्षों के अथक प्रयास के बाद इसका निर्माण किया था. छह फीट ऊंचे सितारे जैसे प्लेटफार्म पर निर्मित यह मंदिर वास्तु शिल्प का अद्भुत नमूना है.
सूर्य देवता की प्रतिमाएं स्थापित
इस मंदिर में शिव, श्री हरि और सूर्य देवता की प्रतिमाएं स्थापित हैं. यह हजार खंभों पर बना प्राचीन वास्तु शिल्प का बेजोड़ नमूना है. इसका विशाल प्रवेश द्वार काफी आकर्षक है. मंदिर पर बनी मनमोहक नक्काशियां बरबस ही लोगों का ध्यान खींच लेती हैं.
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