एक साथ तीन तलाक अर्थात ट्रिपल तलाक देने पर रोक लगाने वाले विधेयक को लोकसभा ने 28 दिसंबर 2017 को पारित कर दिया. मुस्लिम महिला (विवाह अधिकारों का संरक्षण) विधेयक को लोकसभा में वोटिंग कराकर इसके लिए अंतिम निर्णय लिया गया.
अब इस विधेयक को राज्यसभा में भेजा जायेगा जहां उसे बहुमत से पारित होना होगा. इसके बाद यह राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजा जायेगा. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के उपरांत यह कानून के रूप में देश में लागू होगा. गौरतलब है कि कई दल चाहते हैं कि बिल को स्थायी समिति के पास भेजा जाए.
विदित हो कि मौजूदा सरकार ने तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाए जाने की मांग की थी जिस पर अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित किया था. इस नए विधेयक का कानून जम्मू एवं कश्मीर के अतिरिक्त सभी राज्यों पर लागू होगा.
तीन तलाक विधेयक का प्रस्ताव
• प्रस्तावित कानून एक बार में तीन तलाक या 'तलाक ए बिद्दत' पर लागू होगा. इसके तहत पीड़िता अपने व अपने नाबालिग बच्चों के लिए संरक्षण व गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है.
• पीड़ित महिला अदालत का रुख कर सकती है तथा अपने लिए कानूनी संरक्षण एवं सुरक्षा की मांग कर सकती है.
• इसके तहत किसी भी तरह का तीन तलाक (बोलकर, लिखकर या ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से) गैरकानूनी होगा.
• तीन तलाक गैरकानूनी होगा और ऐसा करने पर पति को तीन साल की जेल की सजा हो सकती है. हालांकि सज़ा तथा जुर्माने का अंतिम निर्णय न्यायाधीश ही करेंगे.
पृष्ठभूमि
मार्च, 2016 में उतराखंड निवासी शायरा बानो नाम की महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके तीन तलाक, हलाला निकाह और बहु-विवाह की व्यवस्था को असंवैधानिक घोषित किए जाने की मांग की. शायरा बानो ने मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन कानून 1937 की धारा 2 की संवैधानिकता को चुनौती दी. शायरा बानो द्वारा कोर्ट में दाखिल याचिका के अनुसार मुस्लिम महिलाओं के हाथ बंधे होते हैं और उन पर तलाक की तलवार लटकी रहती है.
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