विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 20 मार्च 2018 को देशभर के 60 शैक्षणिक संस्थानों को स्वायत्तता प्रदान करने का फैसला लिया है. यूजीसी के तय मापदंडों को पूरी तरह से मानने और नैक की रैंकिंग में शीर्ष स्थान प्राप्त करने के बाद यह फैसला लिया गया है.
स्वायत्तता मिलने के बाद ये संस्थान बगैर यूजीसी की अनुमति के ऑफ कैंपस गतिविधियां, रिसर्च पार्क, कौशल विकास के नए कोर्स और विदेशी छात्रों की प्रवेश के नए नियम बना सकेंगे. इस स्वायत्तता में 5 केंद्रीय विश्वविद्यालय, 21 राज्य विश्वविद्यालय, 24 डीम्ड यूनिवर्सिटी, 2 प्राइवेट विश्वविद्यालय और 8 निजी संस्थानों को स्वायत्ता दी गई है.
केंद्रीय विश्वविद्यालय: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद, तेलंगाना की इंग्लिश और फॉरेन लैंग्वेज यूनिवर्सिटी को शामिल किया है.
राज्य विश्वविद्यालय: जाधवपुर यूनिवर्सिटी (कोलकाता), अलगप्पा यूनिवर्सिटी (तमिलनाडु), नाल्सर यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ तेलंगाना, सावित्री वाई फुले (पुणे), आंध्र यूनिवर्सिटी (विशाखापट्टम), नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (दिल्ली) समेत 21 यूनिवर्सिटी शामिल हैं.
प्राइवेट विश्वविद्यालय: सोनीपत की ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी, गुजरात की पंडित दीन दयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी को भी शामिल किया है.
हालांकि इस फैसले से उच्च शिक्षा में बहुत बड़ा बदलाव आएगा. जिस तरह वर्ष 1991 में देश की अर्थव्यवस्था का रूप बदला था, उसी तरह वर्ष 2018 से देश की उच्च शिक्षा का रूप बदल जाएगा.
स्वायत्तता से फायदा:
देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों को स्वायत्त करने की मांग लंबे समय से चली आ रही है. केंद्र सरकार और यूजीसी के फैसले के बाद अब स्वायत्त हुए यूनिवर्सिटीज अपनी फीस और बाकी आर्थिक निर्णय खुद कर सकेंगे. यहां तक कि वेतन का निर्धारण और भर्तियों का भी इन्हें अधिकार प्राप्त होगा. स्वायत्त संस्थानों को खुद का पाठ्यक्रम तय करने की भी पूरी आजादी होगी.
पृष्ठभूमि:
यूजीसी के द्वारा इन संस्थानों में अभी तक कई पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं. जिसका लाभ आर्थिक रूप से कमजोर और पिछड़े वर्ग से आने वाले छात्रों को होता है. इस फैसले से बड़ी सांख्य में छात्र-छात्राओं की पढ़ाई नकारात्मक रूप से प्रभावित होगी. इस फैसले के साथ ही ये सभी संस्थान सरकारी अनुदानों से मुक्त हो जायेंगे. इस फैसले का असर हर उस वर्ग पर पड़ेगा जिसको सरकार की तरफ से अभी तक सहूलियत दी जा रही थी.
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