संयुक्त राष्ट्र समर्थित यमन में संघर्षविराम लागू

Apr 12, 2016, 16:50 IST

सउदी–नीत गठबंधन समर्थित सरकार ने कहा है कि वह किसी भी विद्रोही हमलों का जवाब देने का अधिकार अपने पास सुरक्षित रखते हुए संघर्ष विराम का पूरा सम्मान करेगी.

यमन में संयुक्त राष्ट्र समर्थित शिया और हूति विद्रोहियों के बीच संघर्षविराम लागू हो गया है और 10 अप्रैल 2016 की मध्य रात्रि से यमन में सउदी–नीत गठबंधन समर्थित सरकार काम करने लगी है. सभी पक्षों ने संघर्षविराम का पालन करने का वादा किया है.

सउदी–नीत गठबंधन समर्थित सरकार ने कहा है कि वह किसी भी विद्रोही हमलों का जवाब देने का अधिकार अपने पास सुरक्षित रखते हुए संघर्ष विराम का पूरा सम्मान करेगी.

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ईरान समर्थित हूति विद्रोहियों जिन्होंने 2014 में यमन की राजधानी साना समेत अधिकांश हिस्सों पर कब्जा जमा लिया था, ने भी संघर्ष विराम का सम्मान करने की बात कही है.

इस संघर्ष विराम का उद्देश्य 18 अप्रैल 2016 को कुवैत में होने वाली शांति वार्ता, इसमें विद्रोही अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त राष्ट्रपति अब्द राबू मंसूर हैदी की सरकार के साथ शांति समझौते पर चर्चा करेंगें, को प्रोत्साहित करना है.

इसके अलावा यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2216 (2015) और अन्य प्रासंगिक परिषद के प्रस्तावों की तर्ज पर समावेशी राजनैतिक वार्ता को बहाल करने का भी एक प्रयास है.

यमन में संघर्ष के एक वर्ष

दोनों पक्षों में एक वर्ष से अधिक से चल रही जंग में 6000 से ज्याला लोग मारे जा चुके हैं और 20 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं. 10 अप्रैल 2016 को संघर्ष विराम के प्रभावी होने से कुछ ही घंटों पहले 20 और लोगों के मारे जाने की खबर आई थी.

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संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की रिपोर्ट के अनुसार यमन में एक वर्ष से जारी संघर्ष ने 15 और 49 वर्ष के बीच की प्रजनन आयु वाली 3.4 मिलियन महिलाओं को मानवीय सहायता की जरूरत वाली स्थिति में पहुंचा दिया है.

इनमें से 500000 गर्भवती हैं और आगामी नौ महीनों में शिशु को जन्म देंगी. लेकिन अनुमान के अनुसार प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं और आपूर्तियों की कमी 68000 गर्भवती महिलाओं में 1000 मातृत्व मृत्यु की वजह बन सकती हैं. ये 68000 महिलाएं शिशु के जन्म के दौरान जीवन के लिए खतरनाक जटिलताओं की जोखिम पर होंगी.

टिप्पणी और विश्लेषण

यमन में जारी गृह युद्ध ( 2015 से अभी तक) को सउदी– इरान छद्म युद्ध कहा जा सकता है. यमन के इतिहास में हुए अन्य सभी युद्धों के मुकाबले यह युद्ध अलग है, क्योंकि यह युद्ध किसी खास क्षेत्र तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि यह सीमा से सीमा तक के साथ– साथ केंद्र तक भी फैला है. सरकार राजधानी शहर

गंवा चुकी है और फिलहाल यह हूति विद्रोहियों जिन्हें अनसाराल्लाह (Ansarallah) भी कहते हैं, के कब्जे में है.

यह संघर्ष तभी खत्म हो सकता है और शांति वार्ताएं राजनीतिक समाधान तभी दे सकती हैं जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय युद्ध में शामिल दोनों पक्षों पर शांति समझौते के लिए दबाव बनाए. अंतरराष्ट्रीय समुदाय का दबाव इसलिए जरूरी है क्योंकि विद्रोहियों और सरकार के बीच वार्ता सीमित करना स्थायी मदद नहीं करेगा, अगर कोई होगा,तो वह कुवैत पहुंच जाएगा. टिकाउ समाधान के लिए नागरिक समाज समेत सभी पक्षों को शामिल किया जाना चाहिए.

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