संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में रूस ने अमेरिका द्वारा सीरिया पर किये गये हवाई हमलों के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पेश किया जिसे सुरक्षा परिषद् द्वारा ख़ारिज कर दिया गया. प्रस्ताव पर हुई मीटिंग में अधिकतर देशों ने इसका विरोध किया तथा इस प्रस्ताव को पारित नहीं होने दिया.
सीरिया में 7 अप्रैल को हुए कथित केमिकल अटैक के बाद पिछले एक सप्ताह में यूएन में यह पांचवी मीटिंग थी. यह मीटिंग रूस द्वारा बुलवाई गई थी जिसमें उसने अमेरिका, ब्रिटेन और फ़्रांस द्वारा संयुक्त रूप से सीरिया पर हवाई हमलों की निंदा की थी.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) बैठक के मुख्य बिंदु
• अमेरिका, यूके, फ्रांस, नीदरलैंड, स्वीडन, कुवैत, पोलैंड और आईवरी कोस्ट ने रूस के प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया.
• इस वोटिंग में केवल चीन और बोलिविया ने ही रूस का साथ दिया.
• मतदान के दौरान चार देश - इथियोपिया , कजाखिस्तान , इक्वेटोरियल गिनी और पेरू - अनुपस्थित रहे
• बैठक में यूएस, यूके और फ्रांस ने कहा कि उन्होंने सीरिया में केमिकल साइट को निशाना बनाया गया था, जिसे बशर-अल-असद अपने नागरिकों के खिलाफ होने दे रहे हैं.
• यूएन में अमेरिकी राजदूत निकी हेली ने रूस और असद सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि आवश्यकता हुई तो यूएस और उसके सहयोगी देश फिर से हमला करेंगे.
• रूस द्वारा पेश किये प्रस्ताव में अमेरिका और इसके सहयोगी देशों द्वारा इस सैन्य कार्यवाई को तुरंत प्रभाव से खत्म करने की मांग की गई है और भविष्य में ऐसी किसी भी सैन्य कार्रवाई से दूरी बनाए रखने की बात कही गई है
क्या था मामला?
सीरिया के विद्रोहियों के कब्जे वाले अंतिम शहर डूमा में 8 अप्रैल 2018 को रासायनिक हमले का संदेह प्रकट किया गया तथा इस हमले में 70 लोगों के मारे जाने की बात कही गई. बचाव एवं राहत दल व्हाइट हेल्मेट्स के बचाव कर्मियों द्वारा जारी फोटो एवं वीडियो फुटेज में इस संबंध में जानकारी दी गई. इस हमले के बाद अमेरिका ने कड़ी कार्रवाई की धमकी दी थी और फिर एक सप्ताह बाद उसने अपने मित्र देशों के साथ सीरिया पर हमला कर दिया.
पृष्ठभूमि
सीरियाई शासक बशर अल-असद ने वर्ष 2000 में अपने पिता हाफेज अल असद की जगह सत्ता संभाली. कुछ साल शांति से गुजरने के बाद वर्ष 2011 में राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ बगावत शुरू हुई. असद सरकार ने यह आंदोलन कुचलने के लिए बर्बरता अपनाई जिससे देश में गृह युद्ध जैसे हालात पैदा हो गये. रूस और ईरान के समर्थन के चलते इस मामले में और अधिक जटिलता आ गई.
इस दौरान सीरिया की सरकार पर अपने विरोधियों और विद्रोहियों के खिलाफ केमिकल अटैक करने के भी आरोप लगे हैं. अमेरिका ने आरोप लगाया कि विद्रोहियों के इलाके में कथित केमिकल अटैक किया था जिससे सैंकड़ों लोग मारे गये.
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