हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतर्देशीय पोत विधेयक-2021 को मंज़ूरी दी है जो संसद में पारित होने के बाद अंतर्देशीय पोत अधिनियम, 1917 को प्रतिस्थापित करेगा. यह विधेयक अंतर्देशीय जहाज़ों की सुरक्षा, बचाव और पंजीकरण को विनियमित करेगा.
अंतर्देशीय पोत विधेयक की मुख्य विशेषता विभिन्न राज्यों द्वारा बनाए गए अलग-अलग नियमों के बजाय पूरे देश के लिये एक संयुक्त कानून का प्रावधान करना है. प्रस्तावित कानून के तहत दिया गया पंजीकरण प्रमाण पत्र सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में मान्य होगा तथा इसके लिये राज्यों से अलग से अनुमति लेने की कोई आवश्यकता नहीं होगी.
मुख्य बिंदु
• यह विधेयक इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल पर पोत, पोत पंजीकरण और चालक दल के विवरण रिकॉर्ड करने हेतु एक केंद्रीय डेटा बेस का प्रावधान करता है.
• केंद्रीय डेटाबेस के लिए सभी यांत्रिक रूप से चालित जहाजों को अनिवार्य रूप से पंजीकृत करने की आवश्यकता होगी.
• गैर-यांत्रिक रूप से चलने वाले जहाजों को भी जिला, तालुक या पंचायत या ग्राम स्तर पर नामांकित करने की आवश्यकता होगी.
• यह विधेयक अंतर्देशीय जहाज़ों के प्रदूषण नियंत्रण उपायों से भी संबंधित है तथा केंद्र सरकार को रसायनों, पदार्थों आदि की सूची को प्रदूषकों के रूप में नामित करने का निर्देश देता है.
• यह केंद्र सरकार द्वारा घोषित ज्वारीय जल सीमा और राष्ट्रीय जलमार्गों को शामिल करते हुए 'अंतर्देशीय जल' की परिभाषा को व्यापक बनाता है.
अंतर्देशीय जलमार्ग: एक नजर में
भारत में लगभग 14,500 किलोमीटर नौगम्य जलमार्ग हैं जिनमें नदियाँ, नहरें, बैकवाटर/अप्रवाही जल, खाड़ियाँ आदि शामिल हैं. राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम 2016 के अनुसार, 111 जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है. अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण, विश्व बैंक की तकनीकी और वित्तीय सहायता से गंगा के हल्दिया-वाराणसी खंड पर नेविगेशन की क्षमता वृद्धि हेतु जल मार्ग विकास परियोजना को कार्यान्वित कर रहा है.
अंतर्देशीय जल परिवहन द्वारा वार्षिक रूप से लगभग 55 मिलियन टन कार्गो का परिवहन किया जा रहा है जो एक ईंधन-कुशल और पर्यावरण अनुकूल साधन है. हालाँकि विकसित देशों की तुलना में भारत में जलमार्ग द्वारा माल ढुलाई का अत्यधिक उपयोग किया जाता है.
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