केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान का 08 अक्टूबर 2020 को निधन हो गया है. वे 74 साल के थे. इस बात की जानकारी उनके बेटे व लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान ने दी. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि पापा....अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं.
पापा....अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं।
— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) October 8, 2020
Miss you Papa... pic.twitter.com/Qc9wF6Jl6Z
रामविलास पासवान लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उन्होंने राजनीति में एक लंबा समय बिताया है. रामविलास पासवान वीपी सिंह, एचडी देवेगौड़ा, इंद्रकुमार गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी इन सभी प्रधानमंत्रियों के ‘कैबिनेट’ में अपनी जगह बनाने वाले शायद एकमात्र व्यक्ति थे.
I am saddened beyond words. There is a void in our nation that will perhaps never be filled. Shri Ram Vilas Paswan Ji’s demise is a personal loss. I have lost a friend, valued colleague and someone who was extremely passionate to ensure every poor person leads a life of dignity. pic.twitter.com/2UUuPBjBrj
— Narendra Modi (@narendramodi) October 8, 2020
आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था. अभी कुछ दिनों पहले ही उनके दिल का एक ऑपरेशन भी हुआ था. यह बात भी चिराग पासवान ने ही ट्वीट कर शेयर की थी. केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन की खबर फैलते ही बिहार में शोक की लहर छा गयी है.
रामविलास पासवान: एक नजर में
राजनीति की नब्ज पकड़ने वाले रामविलास पासवान पहली बार 1969 में एक आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य के रूप में बिहार विधानसभा पहुंचे थे. साल 1974 में राज नारायण और जेपी के प्रबल अनुयायी के रूप में लोकदल के महासचिव बने थे. वे व्यक्तिगत रूप से राज नारायण, कर्पूरी ठाकुर और सत्येंद्र नारायण सिन्हा जैसे आपातकाल के प्रमुख नेताओं के करीबी रहे हैं.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने लालू प्रसाद यादव ने रामविलास पासवान को ‘मौसम वैज्ञानिक’ का नाम दिया था. रामविलास पासवान हवा के रुख के साथ राजनीति के अपने फैसले बदलने में माहिर थे. रामविलास पासवान पिछले पांच दशक से भी ज्यादा वक्त से राजनीतिक में सक्रिय थे और देश के सबसे बड़े दलित नेताओं में उनकी पहचान होती थी.
वे 9 बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा सांसद रहे. रामविलास पासवान मोदी सरकार में उपभोक्ता मंत्री थे. रामविलास पासवान का जन्म पांच जुलाई 1946 को बिहार के खगड़िया जिले एक गरीब और दलित परिवार में हुआ था.
उन्होंने बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी झांसी से एमए और पटना यूनिवर्सिटी से एलएलबी की. साल 1969 में पहली बार पासवान बिहार के राज्यसभा चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के कैंडिडेट के तौर पर चुनाव जीते. साल 2000 में पासवान ने जनता दल यूनाइटेड से अलग होकर लोक जन शक्ति पार्टी का गठन किया.
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