अमेरिका और चीन ने जलवायु सहयोग के लिए मिलाया हाथ, जारी किया यह संयुक्त बयान
यह समझौता ऐसी दोनों विश्व महाशक्तियों के बीच सहयोग का एक दुर्लभ क्षण है, जो भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में एक-दूसरे के खिलाफ हैं.

चीन और US ने ग्लोबल वार्मिंग को धीमा करने के लिए एक साथ काम करने की कसम खाई है. बीते बुधवार अर्थात 10 नवंबर, 2021 को इन दोनों ही देशों ने एक आश्चर्यजनक संयुक्त बयान जारी किया है जो वैश्विक जलवायु वार्ता को अंतिम दिनों में नई गति प्रदान करता है. यह समझौता भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में शामिल एक-दूसरे की विरोधी महाशक्तियों के बीच सहयोग के एक दुर्लभ क्षण को भी चिह्नित करता है और जो स्कॉटलैंड के ग्लासगो में दो सप्ताह की अवधि के लिए आयोजित की गई अधिकांश वार्ता के दौरान कुछ अजीब लग रहा था.
चीन और अमेरिका के राजनयिकों ने दिया संयुक्त बयान: पढ़ें विवरण
चीन के विशेष जलवायु दूत झी झेंहुआ ने संवाददाताओं से यह कहा कि, दोनों पक्ष मीथेन और वनों की अवैध कटाई से निपटने सहित कार्बन उत्सर्जन में कटौती के अपने प्रयासों को बढ़ावा देने पर सहमत हुए है. वे 2020 के दशक - एक महत्वपूर्ण दशक - में कार्रवाई बढ़ाने के लिए एक कार्य समूह की स्थापना भी करेंगे जो अगले साल की पहली छमाही में मिलेगा. उनके US. समकक्ष जॉन केरी ने यह कहा कि, यह समूह "ठोस" उपायों पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा.
झी ने आगे यह कहा कि, दुनिया की दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, "हमें जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने के लिए सक्रिय रूप से काम करने की आवश्यकता है." केरी ने कहा कि 'US और चीन में मतभेदों की कोई कमी नहीं है, लेकिन जलवायु के मामले में, परस्पर सहयोग ही इस काम को पूरा करने का एकमात्र तरीका है.' इन दोनों राजनयिकों ने एक के बाद एक अलग-अलग प्रेस कांफ्रेंस में अपनी बात कही. चीन के झी ने पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया.
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इस संयुक्त घोषणा ने ग्लासगो में सबका मूड बदल दिया है, जहां वार्ताकार वैश्विक तापमान में वृद्धि को रोकने के उपायों में तेजी लाने के तरीके पर गहन चर्चा के बीच में हैं. यह अमेरिका और चीन के बीच एक द्विपक्षीय समझौता था और जिसने वर्ष, 2015 के ऐतिहासिक पेरिस समझौते का मार्ग प्रशस्त किया.
E3G थिंक टैंक के सह-संस्थापक निक माबे ने यह कहा कि, 'इसका बड़ा महत्व भूराजनीतिक है. "अमेरिका और चीन ने यह भी स्पस्ट किया है कि वे उस शब्दों के युद्ध को समाप्त कर देंगे जिसका पिछले दिनों काफी खराब असर दिखा था."
झी ने फिर यह कहा कि, दोनों देशों ने पेरिस समझौते के तापमान लक्ष्यों की फिर से पुष्टि की है, जिसमें वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, और माना कि मौजूदा नीतियों और ‘क्या करने की जरूरत है’ के बीच काफी अंतर है. उन्होंने आगे कहा कि, ये दोनों ही देश एक सफल COP26 पर जोर देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसमें जलवायु वित्त पर समझौते और वैश्विक कार्बन बाजार बनाने के नियम शामिल हैं.
वैश्विक प्रतिज्ञा में शामिल होने से चीन ने किया इंकार
फिर भी, चीन ने US और यूरोपीय संघ द्वारा आयोजित करवाई जा रही वैश्विक प्रतिज्ञा में शामिल होने से इनकार कर दिया कि वर्ष, 2020 के स्तर से दशक के अंत तक मीथेन उत्सर्जन में 30% की कटौती की जायेगी. झी ने आगे यह भी कहा कि चीन अपनी खुद की राष्ट्रीय योजना विकसित करेगा. केरी ने स्वीकार किया है कि वे वर्ष, 2030 से पहले चीन को चरम उत्सर्जन तक पहुंचने के लिए अपनी समय सीमा को आगे बढ़ाने के लिए बाध्य करने में विफल रहे थे.
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